बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बढ़ा बाघों का कुनबा, आधा दर्जन दिखे नए शावक

हरनाटाड़ (Harnataad) । बिहार (Bihar) के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) (Valmiki Tiger Reserve) में बाघों (tigers) का कुनबा बढ़ा है। वनक्षेत्रों में करीब आधा दर्जन नये शावकों की चहलकदमी दिख रही है। वीटीआर सूत्र के अनुसार, मंगुराहा व गोबर्धना वनक्षेत्र में बाघिन के साथ शावकों को देखा गया है। बाघों का कुनबा बढ़ने से खुश वीटीआर प्रशासन का कहना है कि बाघों के अनुकूल बेहतर माहौल और आसानी से भोजन उपलब्ध होने से यह संभव हो सका है। बहरहाल, जंगल में नये मेहमानों के आगमन से वीटीआर प्रशासन गदगद है।

वन क्षेत्रों में बेहतर ग्रासलैंड मैनेजमेंट, माहौल और बेहतर सुरक्षा-संरक्षण के साथ आसानी से भोजन उपलब्ध होने के कारण बाघों के साथ तेंदुआ, गौर, चीतल, हिरण, सांभर आदि वन्यजीवों की संख्या बढ़ रही है। बाघों व तेंदुओं की संख्या बढ़ने को वीटीआर प्रशासन शुभ संकेत मान रहा है। वीटीआर प्रशासन के आंकड़ों के अनुसार, पहले से नर-मादा मिलाकर 54 बाघ और करीब एक दर्जन शावक जंगल में मौजूद हैं। इन दिनों गोबर्धना-मंगुराहा वनक्षेत्र में करीब आधा दर्जन शावकों के बढ़ना का अनुमान लगाया जा रहा है। नये मेहमानों के आगमन की सूचना पर वीटीआर प्रशासन ने पेट्रोलिंग बढ़ा दी है।

बाघ विशेषज्ञ व चीफ इकोलॉजिस्ट एंड वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट के डायरेक्टर डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि बाघों के प्रजनन का समय जून-जुलाई होता है। प्रसव के दौरान बाघिन बाघों से अलग हो जाती है। सुरक्षित जगहों पर तीन से चार महीने तक शावकों को पालती है। इसके बाद उनके बड़े होने पर साथ में रखकर शिकार आदि सिखाती है। वीटीआर के वनक्षेत्रों में सौ से अधिक तेंदुआ हैं। केंद्र सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट मे 54 बाघों की संख्या बताई गई है।

वीटीआर का बेहतर माहौल व ग्रासलैंड के मैनेजमेंट और समय-समय पर जानवरों को भोजन-पानी की व्यवस्था होने से बाघ-तेंदुआ और शावकों की संख्या 170 से अधिक हो गई है। इस बार 20 अक्टूबर 2023 से पर्यटन सत्र शुरू हुआ है। पर्यटन सत्र शुरू हुए करीब चार माह हुए हैं। इतने कम दिनों में भी देश-विदेश से आये दर्जनों पर्यटकों को बाघ-तेंदुआ दिखे हैं। पहली जनवरी को ही मंगुराहा पर्यटन केंद्र के जंगलों में पर्यटकों को बाघ दिखा था।

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