दिल्ली में डीजल वाहनों पर बैन को लेकर व्यापारियों की बैठक आज

नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने 29 जून को दिल्ली (Delhi) के सभी क्षेत्रों के प्रमुख व्यापारी संगठनों (Major Merchant Organizations) की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। कैट ने यह बैठक एक अक्टूबर, 2022 से 28 फरवरी, 2023 तक दिल्ली में डीजल वाहनों के प्रवेश को प्रतिबंधित (diesel vehicles banned Delhi Entry) करने संबंधी केजरीवाल सरकार (kejriwal government) के हाल में लिए गए फैसले को देखते हुए बुलाई है। इस निर्णय से दिल्ली का व्यापार और ट्रांसपोर्ट बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल और प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा ने संयुक्त रूप से जारी बयान में मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया इस बैठक में कैट ने ट्रांसपोर्ट संगठनों के प्रमुख नेताओं को भी आमंत्रित किया है, ताकि इस विषय पर एक साझा मोर्चे के तौर पर दिल्ली सरकार के आदेश पर काम किया जा सके। कारोबारी नेताओं ने कहा कि 29 जून को होने वाली बैठक में सरकार के निर्णय तथा व्यापार एवं ट्रांसपोर्ट पर इसके विपरीत प्रभावों पर विस्तार से चर्चा होगी, जिसके बाद इस मुद्दे पर व्यापारियों का अगला रूख तय किया जाएगा।

खंडेलवाल ने कहा कि प्रदूषण से बचाव के लिए पर्यावरण की रक्षा करना ज़रूरी है। लेकिन, इसके साथ यह भी देखा जाना चाहिए कि सरकार के इस निर्णय से किसी भी व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार के इस निर्णय से पांच महीने तक दिल्ली में कोई भी सामान नहीं आ पाएगा। क्योंकि दिल्ली में सारा माल अन्य राज्यों से ट्रकों के जरिए आता है, जो डीज़ल से चलते हैं। लम्बी दूरी होने के कारण कोई भी ट्रक इलेक्ट्रिक या सीएनजी से नहीं चल सकते। इस लिहाज से सरकार का यह निर्णय बेतुका और बेमानी है, जो इसके दुष्प्रभाव और परिणाम को सोचे समझे बगैर लिया गया है।

कैट के प्रदेश चेयरमैन सुशील गोयल और प्रदेश महामंत्री देवराज बवेज़ा, आशीष ग्रोवर एवं सत्येंद्र वधवा ने भी संयुक्त वक्तव्य में कहा कि एक अक्टूबर से 28 फ़रवरी के बीच इन पांच महीने का समय दिल्ली में त्योहार और शादियों का बड़ा सीज़न होता है। इस दौरान कारोबार साल के बाकी महीनों से अधिक होता है। ऐसे में इस दौरान राजधानी में ट्रकों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय व्यापार की चूलें हिला कर रख देगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा वितरण केंद्र है। इतना ही नहीं दिल्ली सरकार का राजस्व बहुत हद तक व्यापारिक गतिविधियों पर निर्भर है।

कारोबारी नेताओं ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार का यह आदेश लागू होता है, तो दिल्ली में दूसरे राज्यों से और दिल्ली से दूसरे राज्यों में माल की ढुलाई प्रभावित होगा। ऐसे में सवाल यह है कि इस निर्णय के लागू होने से क्या दिल्ली के व्यापारी दिल्ली से सटे अन्य राज्यों की सीमा में जाकर अपना माल लेंगे और देंगे। क्योंकि, डीजल वाले वाले ट्रकों का दिल्ली में प्रवेश निषेध होगा, जो किसी भी हालत में व्यावहारिक नहीं है। यदि ऐसा है भी तो इस पर जीएसटी टैक्स के तहत व्यापारियों को अनावश्यक कर क़ानून की पेचीदगियों का सामना करना पड़ेगा। इससे दिल्ली में माल महंगा हो जाएगा। सरकार का यह निर्णय यदि लागू होता है, तो बेहतर होगा की दिल्ली का व्यापार अन्य राज्यों में स्थान्तरित हो जाए। (एजेंसी, हि.स.)

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