5 लाख का ट्रांसफार्मर नहीं लगवा पाए, करोड़ों का फायर हाइड्रेंड भंगार

10 साल बीते, अधिकारी बदले, नहीं बदली व्यवस्था, आग से महफूज नहीं प्रशासन

भोपाल सतपुड़ा भवन हादसे के बाद आया होश, बजट मांगा, कर्मचारियों को ट्रेनिग दी जा रही

इंदौर। सालों  बीते… कई अधिकारी बदले… कलेक्टर (Collector) बदले, लेकिन जिला प्रशासन की अव्यवस्थाओं का रवैया नहीं बदल पाए। 12 साल पहले 50 करोड़ से अधिक की लागत से तैयार हुए प्रशासनिक संकुल में फायर सेफ्टी के संसाधन सजावट का सामान होने के बाद अब भंगार की तरह पड़े हैं। आगजनी से निपटने के लिए लगाए गए सुरक्षा उपकरण यानी फायर हाइड्रेंड (फायर सेफ्टी सिस्टम) (fire hydrant System) सिर्फ बिजली सप्लाई (Electricity Supply) नहीं होने के कारण, यानी ट्रांसफार्मर न लगा होने से भंगार हो रहा है।

कलेक्टोरेट में कल कर्मचारियों को फायर सेफ्टी की ट्रेनिंग दी गई। मोती तबेला स्थित फायर डिपार्टमेंट के ऑफिस से दलबल ने पहुंचकर कर्मचारियों को आगजनी की घटना से निपटने के गुर सिखाए, लेकिन आला अधिकारियों को व्यवस्थाएं होने के बावजूद संसाधनों का प्रयोग करने की सीख कौन देगा इस पर सवालिया निशान लगे हुए हैं। सालों पहले पुराने भवन को जमींदोज कर बनाए गए नए भवन में बैठक व्यवस्था तो सुधर गई, लेकिन सरकारी ढर्रा नहीं सुधर पाया। दर्जनों आईएएस और आला अधिकारियों का आना-जाना लगा रहा। उस दौरान 2 बार संकुल में आगजनी भी हुई, लेकिन किसी की नींद नहीं खुली। भोपाल में सतपुड़ा भवन में लगी भीषण आग के बाद एक बार फिर सरकारी भवनों में सुरक्षा उपायों को लेकर सुगबुगाहट शुरू हुई तो प्रशासन की एक बार फिर नींद खुली है और बजट के लिए प्रस्ताव बनाकर भोपाल भेजा गया है। ज्ञात हो कि प्रशासनिक संकुल में लगाए गए अग्निशमन यंत्र को संचालित करने के लिए एक अलग ट्रांसफार्मर की जरूरत है। नए भवन के निर्माण के साथ ही 2013 में सिस्टम लगवाया गया और पूरे परिसर में सिस्टम  से  आग बुझाने के लिए पाइप लाइन भी डाली गई थी, लेकिन बिजली व्यवस्था के लिए बजट खत्म हो गया। पूर्व में भी जिला पंचायत सीईओ रहीं नेहा मीणा ने इस ओर ध्यान आकर्षित कर  ट्रांसफार्मर लगाए जाने  का प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में चला गया।

100 केवी का ट्रांसफार्मर चाहिए

फायर हाइड्रेंट सिस्टम को बिजली देने के लिए एक अलग 100 केवी ट्रांसफार्मर की आवश्यकता होती है। आगजनी के दौरान बिजली आपूर्ति की मुख्य लाइन को बंद कर दिया जाता है, जिसके बाद हाइड्रेट सिस्टम को चलाने के लिए अलग से लगाए  ट्रांसफार्मर के माध्यम से काम किया जाता है। विभाग के सहायक अभियंता नितिन जोशी के अनुसार  सिस्टम का भार अलग से उठाने के लिए ट्रांसफार्मर लगाने के लिए लगभग 3 लाख रुपए का अनुमानित खर्च आता है। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के मंथन के बाद ट्रांसफार्मर और अन्य सामग्री के लिए करीब साढ़े पांच लाख की राशि की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भी भेजा है।

नहीं आता आग बुझाना

प्रशासनिक संकुल व रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों को आगजनी की घटना से बचाव के लिए दी गई ट्रेनिंग के दौरान सामने आया कि किसी भी कर्मचारी को अग्निशमन यंत्रों के नाम ही नहीं पता, न ही आग बुझाने के लिए इसका इस्तेमाल कैसे करना है इसकी जानकारी थी। जबकि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों का दावा है कि संकुल आग बुझाने के यंत्रों सहित अग्नि सुरक्षा उपायों से सुसज्जित है। कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अलावा इमारत में बिजली लाइनों का नियमित रखरखाव किया जा रहा है। हाल ही में फायर हाइड्रेंट सिस्टम के बारे में संबंधित अधिकारियों से विवरण मांगा है।

अगर कोई कमी होगी तो हम उसे ठीक कर देंगे। शासन को साढ़े पांच लाख रुपए की राशि के बजट के लिए प्रसताव भेजा गया है ।

राजेश राठौर, अपर कलेक्टर, जिला प्रशासन, इंदौर

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