आदिवासी परिवार मजदूरी करने  इंदौर आया था, अंतिम संस्कार तक के पैसे नहीं, बच्चों के शव गांव ले गए

इंदौर। कल क्रेन का कहर जिस परिवार पर बरपा वह दरअसल एक बेहद ही गरीब आदिवासी परिवार था जो रोजी की तलाश में झाबुआ से इंदौर (Jhabua to Indore) आया था। मेहनत-मजदूरी करने वाले इस परिवार के तीन बच्चे एक शादी (Marriage) से लौटते हुए क्रेन का शिकार होकर काल के गाल में समा गए। इंदौर (Indore) के छोटा बांगड़दा स्थित कावेरी नगर में एक झुग्गी में रहने वाले इस परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि उनके पास बच्चों के अंतिम संस्कार तक के पैसे नहीं थे। घटना के बाद पोस्टमार्टम होते ही तीनों बच्चों को वे  झाबुआ (Jhabua) स्थित ग्राम सार और चापड़ा ले गए, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

घटना के बाद से ही पूरे गांव में सन्नाटा बरपा हुआ है और हर घर में ताला लगा हुआ है। झाबुआ के गांव से मजदूरी के लिए शारदाबाई अपने दो बच्चों रीतेश और राज  और बहन के बच्चे शरद को साथ लेकर आई थी। इनमें से तीनों बच्चों की मौत हो गई, जबकि शारदाबाई के दोनों पैर टूट चुके हैं। शारदाबाई झाबुआ की रहने वाली है, जबकि उसकी बहन चापड़ा में रहती है। तीनों बच्चों के शवों को  उनके गृहग्राम झाबुआ और चापड़ा ले जाया गया है, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा।

ये सभी बच्चे विक्की नामक जिस ठेकेदार के यहां काम करते थे वह बच्चों के काम पर नहीं पहुंचने पर जब उन्हें ढूंढता हुआ सुबह उनकी झुग्गी पर पहुंचा और जब उसे घटना का पता चला तो  चक्कर खाकर गिर पड़ा

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