उज्जैन का वन क्षेत्र 42 से बढ़ाकर 100 किलोमीटर होगा..शासन के निर्देश

  • उज्जैन को हरा भरा रखने के लिए वन विभाग को मिला लक्ष्य-पंचक्रोशी मार्ग को भी हरा बनाएँगे-इस वर्ष 1 करोड़ पौधे लगाएँगे

उज्जैन। सिंहस्थ 2028 तक उज्जैन में वन क्षेत्र 42 से बढ़ाकर 100 वर्ग किलोमीटर तक फैलाए जाने का लक्ष्य वन विभाग को दिया गया है जिसके तहत इस वर्ष करीब एक करोड़ पौधे लगाए जाएँगे। इसे लेकर वन विभाग वन क्षेत्र बढ़ाने की तैयारी शुरु कर
दी है।

वन विभाग द्वारा जो एक करोड़ पौधे लगाए जाएँगे उनमें अधिकतर फलदार और औषधीय पौधे लगाने का लक्ष्य है। ये पौधे स्कूल, कालेज, धार्मिक स्थलों, सड़क किनारों के अलावा पंचायती जमीन पर लगाए जाएँगे। इन पौधों की देखभाल करने के लिए वृक्षमित्र नियुक्त किए जाएंगे ताकि शत-प्रतिशत पौधे जीवित रह सकें। इस बार राज्य सरकार कीमती पौधे लगाने की अपेक्षा हरियाली बनाए रखने वाले पौधों को प्राथमिकता दे रही है। विभाग गांवों की पंचायती जमीन पर मॉडल के तौर पर बाग लगाएगी, अगर यह प्रयास सफल रहा तो बाद में इसको पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। इससे जहां पंचायतों को अच्छी आमदनी होगी, वहीं बाग के पेड़ 50 वर्ष तक क्षेत्र को हरा-भरा रखकर पर्यावरण को शुद्ध रखने में सहयोग करेंगे। उल्लेखनीय है कि तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण पूरे प्रदेश में जंगलों का दायरा सिमटता जा रहा है लेकिन उज्जैन जिले की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले करीब 3 दशक से जिस तरह जिले में शहरीकरण बढ़ा है उसके मुकाबले वन क्षेत्र की जमीन में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है।

यही कारण है कि उज्जैन जिले के कुल क्षेत्रफल 6 हजार 91 वर्ग किलोमीटर में से वन विभाग के पास जंगल के लिए जमीन का दायरा 42 वर्ग किलोमीटर का ही है। इसके विपरित उज्जैन शहर की ही बात की जाए तो यहाँ भी अब तेजी से शहरी क्षेत्र का फैलाव हो रहा है। बीते एक दशक में जिले में तेजी से नई कॉलोनियाँ विकसित होती जा रही हैं, इसके चलते अब अकेले उज्जैन शहर का फैलाव ही 92.68 वर्ग किलोमीटर तक हो गया है। इसके मुकाबले पूरे जिले में वनों के लिए जमीन का दायरा मात्र 42 वर्ग किलोमीटर का है जो आधे से भी कम है। पूरे जिले के क्षेत्रफल और वनों के लिए आरक्षित इस जमीन का आंकलन किया जाए तो यह कुल क्षेत्रफल का एक प्रतिशत भी नहीं हैं। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार पिछले 24 सालों में उज्जैन जिले में विभाग की माँग पर शासन से दो बार ही जमीन मिली है। इसमें साल 2003-04 में सिंहस्थ के पूर्व त्रिवेणी के पास 2 हेक्टेयर जमीन शासन द्वारा वन विभाग को हस्तांतरित की गई थी। इसके लगभग 12 साल बाद वर्ष 2016 में खाचरौद तहसील के दिवेल गाँव में चंबल नदी के किनारे विभाग को 65 हेक्टेयर जमीन सौंपी गई थी। कुल मिलाकर पिछले 25 सालों में वन विभाग को वनों के लिए सिर्फ 67 हेक्टेयर जमीन ही मिल पाई है। इसे मिलाकर पूरे जिले में वन क्षेत्र का दायरा 42 वर्ग किलोमीटर का हो पाया है।

आयुष बेल्ट भी बनेगा
वन विभाग के रेंजर शशांक तिवारी ने बताया कि सिंहस्थ 2028 तक उज्जैन में वन क्षेत्र को 42 से बढ़ाकर 100 वर्ग किलोमीटर तक फैलाए जाने का लक्ष्य वन विभाग को मिला हैं। इसके तहत पार्कों में आयुर्वेद बेल्ट भी बनाने की तैयारी की जा रही है। कुछ दिन पहले वन विभाग के अधिकारियों ने पार्कों का निरीक्षण कर इसकी कार्ययोजना तैयार की है। हर पार्क में एक बेल्ट तैयार कया जाएगा जिसमें लगभग 10 प्रजाति के औषधीय पौधे नाम व गुण की पट्टिका के साथ लगाए जाएँगे। आयुर्वेद के वह पौधे अधिक लगाए जाएँगे जिनका आम आदमी के जीवन में महत्व अधिक होता है। हाल ही में विभाग द्वारा भैरवगढ़ क्षेत्र में 2000 औषधीय पौधे लगाए गए हैं।

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