यूक्रेन के PM ने भारत को दी गणतंत्र दिवस की शुभकामना, बोले- विश्‍व शांति के लिए काम कर रहे हैं पीएम मोदी

नई दिल्‍ली (New Delhi) । रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच युद्ध चल रहा है. यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस शमीहाल (Prime Minister Denis Schmihal) ने युद्ध की स्थिति के बारे में जानकारी दी है. इसके साथ ही भारत (India) को 75वें गणतंत्र दिवस (Republic Day) की शुभकामनाएं दी हैं. डेनिस ने यूक्रेन की मदद और मानवीय समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ भी की. डेनिस का कहना था कि वो भारत से पहले की तरह छात्रों को वापस यूक्रेन भेजने का भी आग्रह करना चाहते हैं.

प्रधानमंत्री डेनिस शमीहाल ने कहा कि जिस तेजी से भारत आगे बढ़ रहा है, उसकी हम सराहना करना चाहेंगे. उन्होंने लोकतंत्र और विविधता में एकता के मूल्यों की भी प्रशंसा की और कहा कि यही भारत को असली तौर पर परिभाषित करते हैं. भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में शामिल है.

‘विश्व शांति के लिए काम कर रहे हैं पीएम मोदी’
डेनिस ने यूक्रेन को मदद और मानवीय समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की. डेनिस का कहना था कि पीएम मोदी को आज एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है, जो विश्व शांति के लिए काम कर रहे हैं. पीएम मोदी जी-20 देशों के बड़े नेता के तौर पर भी जाने जाते हैं.

‘ज्यादा से ज्यादा मदद की जरूरत है’
यूक्रेन इस समय मुश्किल भरे दौर से गुजर रहा है. रूस से युद्ध चल रहा है. रूस न्यूक्लियर को लेकर ब्लैकमेल कर रहा है. डेनिस का कहना था कि हमें अपने सहयोगी देशों से लगातार मदद मिल रही है. फिर चाहे बात वो हथियार की हो या मानवीय सहायता की. लेकिन दुर्भाग्य से जरूरत इतनी ज्यादा है कि यह सब कम महसूस हो रही है. ऐसे में वो ज्यादा से ज्यादा सहायता और समर्थन की अपील कर रहे हैं.

‘अभी भी NATO सदस्य बनने का इंतजार’
डेनिस ने कहा कि यूक्रेन के इरादे बदले नहीं हैं. वो आज भी यूरोपीय संघ (EU) और NATO का हिस्सा बनने का इंतजार कर रहे हैं. यूक्रेन इसका हिस्सा बनने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है. उनका कहना है कि यूक्रेन का एक बड़ा हिस्सा आज शांतिपूर्ण स्थिति में है. यानी वहां हालात सामान्य हैं. वो भारत से अनुरोध करना चाहेंगे कि पहले की तरह छात्रों को यूक्रेन भेजने में मदद करें. इसके साथ ही व्यापार को भी पहले की तरह शुरू किया जाए, ताकि हमें आर्थिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके.

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