जनरल बिपिन रावत ने ऐसा क्या कहा कि ड्रेगन को लगी मिर्ची, दे रहा अमन-चैन की दुहाई

बीजिंग। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defense Staff-CDS) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने चीन (China) को लेकर कुछ ऐसा कहा कि ड्रैगन को मिर्ची लग गई। बौखलाए ड्रैगन ने बयान जारी करके इस जलन के अहसास को बयां भी कर डाला। जनरल रावत ने चीन को सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था। इसके जवाब में चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता (spokesman for the Chinese Ministry of Defense) कर्नल वू कियान (Colonel Wu Qian) ने कहा कि भारतीय अधिकारी बिना किसी कारण के तथाकथित ‘चीनी सैन्य खतरे’ पर अटकलें लगाते हैं, जो दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन का गंभीर उल्लंघन है कि चीन और भारत एक दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं।

कब दर्ज कराया विरोध?
कर्नल वू ने आगे कहा, ‘हम इस टिप्पणी का कड़ा विरोध करते हैं। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं और हमने भारतीय पक्ष के सामने कड़ा एतराज जताया हैं’। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि विरोध कब दर्ज कराया गया। प्रवक्ता ने कहा कि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर चीन का रुख स्पष्ट और जाहिर है। चीनी सीमा रक्षक बल राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित हैं तथा सीमा क्षेत्र में अमन-चैन बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, तनाव घटाने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं।

बयान में कहावत का उल्लेख
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक पुरानी चीनी कहावत का भी उल्लेख किया, ‘यदि आप तांबे का उपयोग दर्पण के रूप में करते हैं तो आप तैयार हो सकते हैं, यदि आप इतिहास का दर्पण के रूप में उपयोग करते हैं तो आप उत्थान और पतन को जान सकते हैं, यदि आप लोगों को दर्पण के रूप में इस्तेमाल करते हैं तो आप लाभ और हानि को समझ सकते हैं।’ बता दें कि लद्दाख में पिछले साल मई में गतिरोध तब शुरू हुआ जब चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पैंगोंग झील और अन्य क्षेत्रों में अपने सैनिकों को गोलबंद किया।

चीन नहीं चाहता तनाव घटे!
पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक टकराव के बाद तनाव काफी बढ़ गया। तब से तनाव घटाने और विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर की कई वार्ता हो चुकी है, लेकिन जून 2020 से पहले वाली स्थिति अभी बहाल नहीं हो पाई है. इसके लिए सीधे तौर पर चीन ही दोषी है, क्योंकि वो हर बार कुछ न कुछ ऐसा कर देता है कि तनाव कम होने के बजाये बढ़ जाता है।

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