हल्द्वानी हिंसा की तपिश में क्यों जला ‘पहाड़’, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबल; अब परिंदा भी पर नहीं मार सकता

हल्द्वानी: आज जुमा है, लेकिन हल्द्वानी में जुमे की नमाज घरों में होगी. पूरे इलाके में सिर्फ पुलिस वाले ही दिख रहे हैं. बीती रात नौ बजे से कर्फ्यू लगा हुआ है. जली हुई मोटरसाइकिलें और गाड़ियां गवाही दे रही हैं कि यहां उपद्रव हुआ था. पुलिस अफसर लगातार गश्त कर रहे हैं. फ्लैग मार्च भी निकाला गया. बख्तरबंद गाड़ियां भी इसमें शामिल थीं.

पहाड़ों की शांति के लिए ये एक नया मंजर था. यहां पर अब से कुछ वक्त पहले तक लोग मिलजुल कर ही रहा करते थे. सुबह से दूध और अखबार वाले भी इलाके में नहीं दिखे. आम तौर पर सुबह-सुबह लोग या तो अपने काम पर निकल जाते हैं या बाजार की ओर जाकर जरूरी खरीददारी और नाश्ते वगैरह के लिए जमा होते रहे हैं. आज स्थिति बिल्कुल अलग है. बाजारों के साथ स्कूल कॉलेज भी बंद हैं. शहर में इंटरनेट सुविधा भी नहीं है.

समुद्र तल से 424 मीटर ऊंचाई वाला हल्द्वानी पहाड़ों की तरह ऊंच-नीच वाला इलाका तो नहीं है, लेकिन आम तौर पर यहां लोग अपने कामकाज में ही मसरूफ रहा करते हैं. दो दिन पहले से यहां हालात बिल्कुल अलग हो गए हैं. नैनीताल से लगे इस इलाके में खेती भी मैदानी इलाकों की तरह ही अच्छी खासी होती है. वैसे तो यहां गर्मियों के मौसम में मैदानी इलाकों की तरह ही तापमान बढ़ जाता है, लेकिन इस बार सर्दियों में ही जमीन को लेकर लगातार वातावरण गर्म ही रहा.

स्थिति बिगड़ने पर गुरुवार की रात कर्फ्यू लगाया गया और सब कुछ ठहर सा गया. कोई बाहर नहीं निकल रहा है. सभी घरों में बंद हैं. हालांकि सरकारी अफसरों ने आश्वासन दिया है कि जरुरत होने पर अस्पताल और जरुरी मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. जुमा न होता तो शायद दूधियों और अखबारों के हॉकरों को भी आने जाने की इजाजत मिलती.

तनाव का आलम हल्द्वानी शहर में तो है हीं. लेकिन पूरे उत्तराखंड को हाई अलर्ट पर रखा गया है. सभी जिलों के पुलिस कप्तान और डीएम को मुस्तैद रहने का निर्देश दिया गया है. मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.

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