ज्ञानवापी परिसर में 31 साल बाद पूजा-अर्चना शुरू, श्रद्धालु बोले- हम कोर्ट के आदेश से बेहद खुश हैं

नई दिल्‍ली (New Delhi) । वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (Varanasi Gyanvapi Mosque) परिसर में 31 साल बाद पूजा-अर्चना (Worship) हो रही है. गुरुवार (1 फरवरी) सुबह लोग पूजा करने के लिए तहखाने में पहुंचे हैं. वाराणसी की जिला अदालत से बुधवार (31 जनवरी) को हिंदू पक्ष को बड़ी राहत मिली, जब कोर्ट ने परिसर में मौजूद तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दिया. हिंदुओं को ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार मिला है.

अदालत ने वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को हिंदू पक्ष और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित एक पुजारी के जरिए की जाने वाली पूजा की व्यवस्था करने का निर्देश दिया. 17 जनवरी को वाराणसी जिला अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट को रिसीवर नियुक्त करते हुए उन्हें तहखाने को सुरक्षित रखने और इसमें कोई बदलाव न करने का निर्देश दिया. 24 जनवरी को अपर जिलाधिकारी प्रकाश चंद्र के नेतृत्व में जिला प्रशासन की टीम ने डीएम को तहखाने का रिसीवर बनाकर उसे अपनी कस्टडी में लेने के संबंध में कार्यवाही पूरी की.

अदालत के आदेश का पालन किया गया: डीएम
ज्ञानवापी मामले में कोर्ट के जरिए हिंदू पक्ष को ‘व्यास का तहखाना’ में पूजा करने की अनुमति देने पर वाराणसी के डीएम एस राजलिंगम ने मीडिया से बात की. उनसे वजूखाने के समक्ष विराजमान नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोलने को लेकर सवाल किया गया. इस पर उन्होंने कहा, ‘न्यायालय के आदेश का पालन किया गया है.’ वर्तमान में ज्ञानवापी परिसर के आसपास सुरक्षा को भी कड़ा कर दिया गया है. पूजा की इजाजत मिलने के बाद परिसर के मौजूद एक श्रद्धालु ने कहा, हम कोर्ट के आदेश से बेहद खुश और भावुक हैं. हमारी खुशी की कोई सीमा नहीं है.

अदालत के फैसले पर ओवैसी ने जताया दुख
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने वाराणसी कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि बुधवार को जज साहब के रिटायरमेंट का आखिरी दिन था. 17 जनवरी को रिसीवर बैठाया गया. पूरा केस पहले से ही डिसाइड किया गया था. उन्होंने कहा कि ये पूरी तरह से प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की तरफ से जब तक इस एक्ट पर चुप्पी नहीं तोड़ी जाती है, तब तक इस तरह की चीजें होती रहेंगी.

एआईएमआईएम चीफ ने कहा कि आप ये बात खुद कह रहे हैं कि 1993 के बाद वहां कुछ नहीं हो रहा था. अपील के लिए 30 दिन का समय दिया जाना चाहिए था. मस्जिद के तहखाने में पूजा-अर्चना की जो इजाजत दी गई है, वो पूरी तरह से गलत है. उन्होंने यहां तक कह दिया कि 6 दिसंबर की घटना एक बार फिर से हो सकती है. बता दें कि छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था.

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