
आज यानि 15 अप्रैल को गणगौर तीज का पावन पर्व है मान्यता के अनुसार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को गणगौर तीज पर्व के रूप में मनाया जाता है । गणगौर राजस्थान (Rajasthan) और सीमावर्ती मध्य प्रदेश का एक बड़ा पर्व है । इस दिन कुवांरी लड़कियां और विवाहित महिलाएं भगवान शिव (इसर जी) और माता पार्वती (Mata Parvati) (गौरी) की पूजा करती हैं। इस दिन पूजन के समय रेणुका की गौर बनाकर उस पर महावर, सिंदूर और चूड़ी चढ़ाने का प्रावधान है। चंदन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य से पूजा करके शिव जी और माता पार्वती को भोग लगाया जाता है। गणगौर तीज राजस्थान में आस्था, प्रेम और पारिवारिक सौहार्द का सबसे बड़ा उत्सव है। गण (शिव) तथा गौर(पार्वती) के इस पर्व में कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर पाने की मनोकामना करते हुए पूजा करती हैं। वहीं विवाहित महिलाएं चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पूजन तथा व्रत कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं।
इस तरह करें पूजा
शिव-गौरी (Shiva-gauri) को सुंदर वस्त्र अर्पित करें। सुहाग की वस्तुएं अर्पित करें। चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब व पुष्प से उनकी पूजा अर्चना करें। एक बड़ी थाली में चांदी का छल्ला और सुपारी रखकर उसमें जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहागजल तैयार किया जाता है। दोनों हाथों में दूब लेकर इस जल से पहले गणगौर को छींटे लगाकर फिर महिलाएं अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर इस जल को छिड़कती हैं। अंत में चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता की कथा सुनी जाती है। गणगौर महिलाओं (Women) का त्यौहार माना जाता है इसलिए गणगौर पर चढ़ाया हुआ प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता। वहीं जो सिन्दूर माता पार्वती को चढ़ाया जाता है, महिलाएं उसे अपनी मांग में भरती हैं।
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