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एआर रहमान का छलका दर्द, बोले-पिता ने मरते दम तक किया काम

November 23, 2025

नई दिल्ली। इम्तियाज अली की फिल्म ‘रॉकस्टार’ (Rockstar) का सबसे मशहूर सीन वो है जिसमें रणबीर कपूर का किरदार जॉर्डन समझता है कि एक सच्चा कलाकार तभी बढ़िया संगीत बना सकता है, जब उसने जिंदगी में दर्द झेला हो. फिल्म की पूरी एल्बम ए आर रहमान (A R Rahman) ने कंपोज की थी और रहमान की खुद की जिंदगी भी बचपन से ही दर्द और चुनौतियों से भरी रही है. हाल ही में एक इंटरव्यू में रहमान ने बताया कि छोटी उम्र में पिता को खोने का उनकी जिंदगी पर क्या असर पड़ा था. उनकी मां ने उनकी म्यूजिकल जर्नी में कितना बड़ा रोल निभाया.

पिता ने मरते दम तक किया काम
रहमान हाल ही में निखिल कामथ के पॉडकास्ट में नजर आए. उनसे पूछा गया कि चेन्नई में बचपन कैसा बीता. रहमान ने कहा, ‘मैंने अपनी जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा चेन्नई में ही बिताया है. वहीं पैदा हुआ था, मेरे पिता स्टूडियो में काम करते थे. हम कोडंबक्कम के पास रहते थे, जहां सारे स्टूडियो हुआ करते थे.’



फिर ए आर रहमान ने अपने पिता आर के शेखर के बारे में बताया कि किस तरह पिता की मेहनत ने उनकी सेहत को खराब कर दिया और असमय मृत्यु हो गई. उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता-मां को उनके अपने परिवार वालों ने घर से निकाल दिया था. वो किराए के मकान में रहने लगे और पापा दिन-रात मेहनत करके हमें अपना घर दिलाने की कोशिश करते रहे. वो एक साथ तीन-तीन नौकरियां करते थे और इसी वजह से उनकी सेहत पूरी तरह बिगड़ गई. यही मेरे बचपन का सबसे अंधेरा हिस्सा था. उस ट्रॉमा से उबरने में बहुत वक्त लगा.’

मां ने अकेले की परवरिश
इसके बाद उन्होंने अपनी मां की तारीफ की, जो बिना पति के चार बच्चों को अकेले पालने में कामयाब रहीं. रहमान ने कहा, ‘मैं जब बड़ा हो रहा था तो बहुत कुछ देखा. मेरे पिता का और दादी का निधन हुआ. मैं सिर्फ नौ साल का था जब ये सब हुआ. हर रोज ट्रॉमा देखता था. मेरी मां सिंगल मदर थीं, लेकिन वो बहुत कॉन्फिडेंट औरत थीं. सारी तकलीफ उन्होंने खुद झेली. हमें बचाने के लिए न जाने क्या-क्या सहा. वो बेहद मजबूत औरत थीं जिन्होंने हर तरह की बेइज्जती सही और अकेले हमें बड़ा किया.’

रहमान का बचपन था मुश्किल
रहमान ने खुलासा किया कि संगीत की दुनिया में आने का फैसला भी उनकी मां ने ही लिया था. साथ ही ये भी माना कि संगीत को पूरी तरह समर्पित होने की वजह से उन्होंने सामान्य बचपन की बहुत-सी चीजें मिस कर दीं. उन्होंने कहा, ‘मां ने ही तय किया कि मुझे संगीत में जाना चाहिए और मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया. तीन बहनें होने की वजह से मुझे लगता था कि मुझे एकदम साफ-सुथरा रहना चाहिए, क्योंकि मेरा बर्ताव बाहर भी दिखता था. मेरा पूरा बचपन 40-50 साल के लोगों के साथ स्टूडियो में संगीत बजाते गुजरा. स्कूल में दोस्तों के साथ मस्ती, कॉलेज का माहौल, सब मिस कर गया. बहुत कुछ छूट गया, लेकिन स्टूडियो में बहुत समझदार और बुद्धिमान लोगों के साथ वक्त बिताने का मौका मिला.’

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