बैतूल। स्टाप डेम में जल समाधि (Water mausoleum in stop dam) होने वाले चार भाई-बहनों को एक साथ जब कब्रिस्तान में दफनाया (buried in the cemetery) गया था तो समूचे ग्राम में मातम और शोक व्याप्त हो गया था। सभी की आंखों से अश्रुधारा रूकने का नाम नहीं ले रही थी। असमय काल के गाल में समा गए चारों भाईयों-बहनों का पूरा परिवार बेहद गमगीन हो गया था। चारों बच्चों का अंतिम संस्कार जिला मुख्यालय से 18 किमी. दूर स्थित पाढर कब्रिस्तान में किया गया।
शुक्रवार को पाढर के मिशन कम्पाउंड स्थित कब्रिस्तान के 129 साल के इतिहास में वैसे तो अब तक हजारों शव दफन हो चुके है लेकिन 129 सालों में शुक्रवार को पहला ऐसा मौका था जब एक ही कब्र में दो ताबूत में रखकर एक साथ चार भाई बहनों के शव दफनाए गए। उक्त नजारा देखकर कब्रिस्तान में मौजूद परिजन ही नहीं हर एक इंसान की आंखे नम हो गई। इसके पूर्व सुबह लगभग साढ़े ग्यारह बजे शाहपुर से पीएम के बाद जब चारों के शव अनुग्रहम कॉलोनी स्थित प्रदीप धौलपुरिया के निवास पहुंचे तो वहां मौजूद प्रत्येक इंसान फफक पड़ा। गुरूवार को पाढर आमागोहान के बीच बने चेक डेम में नहाने के दौरान डूबे चारों भाई बहन के शव शुक्रवार शाम को पाढर कब्रिस्तान में दफना दिए गए।

शव आते ही फफक पड़े ग्रामीण
शुक्रवार सुबह लगभग साढ़े ग्यारह बजे चारों भाई-बहन के शव मिशन कंपाउंड पाढर की अनुग्रहम कॉलोनी स्थित प्रदीप धौलपुरिया के निवास पहुंचे तो परिजनों के साथ ही वहां मौजूद हर शख्स फफक पड़ा। दो सगे भाई और उनकी ममेरी और मौसेरी बहन के शव एक ही कमरे में रखे गए जहां दिनभर परिजन और ग्रामवासियों ने उनके अंतिम दर्शन कर पुष्प अर्पित किए। दोनों भाई निखिल और प्रतीक के साथ ही पाथाखेड़ा सारनी निवासी उनके मामा की बेटी कशिश और छुरी पाढर निवासी मौसी की बेटी आयशा की अंतिम यात्रा प्रदीप धौलपुरिया के निवास से ही निकली।
दो ताबूत में रखे चार शव
मसीह मंडली पाढर द्वारा दो ताबूत बनाए गए। एक ताबूत में दो सगे भाई निखिल एवं प्रतीक के शव रखे गए वहीं दूसरे ताबूत में दोनों मौसेरी बहने कशिश और आयशा के शव रखे गए। ईएलसी चर्च पाढर के पास्टर इन चार्ज रेव्ह. जीटी विश्वास ने घर में प्रार्थना करवाई। वहीं पाढर मंडली के पंचायत डीकन रेव्ह. स ंदीप परमार्थ, कैलाश एन्ट्रज कमलकांत डेनियल, राजेश बैंजामिन और सिल्वानुस कुमार की उपस्थिति में सभी मौजूद लोगों ने पुष्प अर्पित किए। पाढर कब्रिस्तान में एक ही कब्र में शाम लगभग 6 बजे चारों शव दफन किए गए।
पहली बार एफनाए एक साथ चार शव
ईएलसी चर्च पाढर के पास्टर इन चार्ज रेव्ह. जीटी विश्वास ने बताया कि ग्राम पाढर में आजादी के पूर्व 1890 में मिशनरियों की बसाहट हुई थी। 1892 में क ब्रिस्तान बनाया गया। 129 साल के इतिहास में पहली बार एक ही कब्र में चार शव दफनाए गए। इसके पूर्व दो बार एक साथ दो शव दफनाए गए थे। 2010 में सड़क हादसे में मृत अजय चरण और उनके पिता डब्बू टी चरण के शव एक साथ दफनाए थे वहीं 1989 में संजय और उनके पिता डेनियल के शव एक साथ दफनाए थे। यह पहला मौका है जब एक साथ चार शव एक कब्र में दफनाए गए।
पति, पुत्र के बाद अब दो नातियों का हुआ निधन
गुरूवार को पाढर में हुई हृदय विदारक घटना में सबसे अधिक दुख दोनों मृतक भाईयों की दादी गिरिजा धौलपुरिया को हुआ। पाढर अस्पताल में कार्यरत गिरिजा का गुरूवार से ही रो- रोकर बुरा हाल है। गुरूवार शाम उनकी हालत खराब होने पर उन्हें पाढर अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि उन्हें पहले अपने पति फिर एक पुत्र और अब दो नातियों के शव देखने पड़े। लगभग 15 साल पहले विमला के पति अशोक धौलपुरिया का निधन हुआ था वहीं लगभग आठ साल पहले उनके छोटे पुत्र गोलू धौलपुरिया का भी निधन हो गया था। वे अपने पुत्र प्रदीप धौलपुरिया और दो नाती निखिल तथा प्रतीक के सहारे जी रही थी लेकिन गुरूवार के हादसे में उनके दोनों नाती निखिल और प्रतीक का भी निधन हो गया। यह सदमा वे सहन ही नहीं कर पा रही थी और बार-बार बेहोश हो रही थी। जिसे परिजन और ग्रामवासी ढांढस बंधा रहे थे।
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