चुनावी आचार संहिता और जांच के डर सेनकदीका लेन-देन घट गया था, जिसका असर अचल सम्पत्तियों की रजिस्ट्रियों पर भी पड़ा
इंदौर। चुनावी आचार संहिता (electoral code of conduct) और जगह-जगह वाहनों की जांच के चलते नकदी (cash) के लेन-देन में कमी आ गई थी, क्योंकि सभी को पकड़े जाने का डर था। अभी 13 मई को मतदान (voting) के बाद यह जांच-पड़ताल बंद हो गई, जिसके चलते नकदी के लेन-देन में भी इजाफा होने लगा और इसका असर अचल सम्पत्तियों (fixed assets) की रजिस्ट्रियों (registries) पर भी देखा गया। बीते दो दिनों में ही रजिस्ट्री करवाने वालों की भीड़ बढ़ गई और आज भी अच्छी संख्या में रजिस्ट्री होने का अनुमान विभागीय अधिकारी ने लगाया है। वैसे तो इंदौर में अधिकांश रजिस्ट्रियां गाइडलाइन (guideline) पर ही होती है मगर बाजार मूल्य में 2 से 4 गुना तक अंतर के चलते बाकी राशि का लेन-देन नकदी में ही किया जाता है।
1 अप्रैल से नई गाइडलाइन भी लागू हो गई और स्टाम्प ड्यूटी से पंजीयन विभाग ने 122 करोड़ रुपए कमाई भी, जो गत वर्ष के अप्रैल माह की तुलना में 2 करोड़ अधिक भी रहे। लेकिन मई में रजिस्ट्रियों की संख्या घट गई, क्योंकि एक तरफ तो भीषण गर्मी और दूसरी तरफ आचार संहिता का डर। दरअसल, इंदौर में आसपास के जिलों से भी सम्पत्तियों की खरीदी बड़े पैमाने पर होती है और रजिस्ट्री के लिए लोग आते हैं जो अपने साथ नकदी भी लाते हैं। चूंकि अभी सभी नाकों और शहर के बीच में भी उडऩदस्तों द्वारा जांच-पड़ताल की जा रही थी और कई मामलों में नकदी जब्त भी की गई, जिसके चलते रियल इस्टेट से जुड़े कारोबारियों के साथ-साथ अन्य लोगों ने भी नकदी का लेन-देन कम कर दिया। अब चूंकि मतदान सम्पन्न हो गए हैं और जांच-पड़ताल भी खत्म हो गई, जिसका असर दो दिन में ही दिख गया। रोजाना जहां 400 के आसपास रजिस्ट्रियां हो रही थी, तो 14-15 मई को यह संख्या 700-800 तक पहुंच गई। वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक कुमार शर्मा के मुताबिक रजिस्ट्रियों की संख्या में इजाफा हुआ, वहीं आज भी अच्छी रजिस्ट्रियां होंगी।
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