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ड्राइव इन सिनेमा के लिए योजना से छुड़वाई 800 करोड़ की जमीन हड़पने के प्रयास

March 01, 2025

  • अग्रिबाण ने १० साल पहले उजागर किया था फर्जीवाड़ा, तब प्राधिकरण ने कर दी थी लीज निरस्त, फिलहाल हाईकोर्ट से स्टे के बावजूद मौके पर अवैध निर्माण के प्रयास, अधिकारियों को भेजकर रूकवाया काम

इंदौर, राजेश ज्वेल। प्राधिकरण की योजना 114 पार्ट-2 नीरंजनपुर में शामिल 3 लाख 32 हजार स्क्वेयर फीट की विशाल और अत्यंत बेशकीमती जमीन को नए सिरे से हड़पने और उस पर अवैध निर्माण शुरू करने के प्रयास किए गए। मगर कल शाम प्राधिकरण के अधिकारियों ने मौके पर जाकर काम रूकवा दिया। 800 करोड़ रुपए से भी अधिक कीमत की इस जमीन का फर्जीवाड़ा 10 साल पहले भी अग्रिबाण ने उजागर किया था, जिसके बाद प्राधिकरण ने योजना से मुक्त करने की शर्तों के उल्लंघन के चलते दी गई निजी विकास की अनुमति के साथ लीज निरस्त कर दी थी, जिसे फिर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और वहां से अभी तक स्टे चल रहा है। बावजूद इसके नगर निगम से बहुमंजिला इमारतों की अनुमति हासिल कर ली गई। हालांकि प्राधिकरण निगम के साथ नगर तथा ग्राम निवेश को भी पत्र लिख रहा है और हाईकोर्ट को भी अवगत कराया जाएगा कि स्टे के बावजूद मौके पर अवैध रूप से निर्माण शुरू किया गया, जो कि अवमानना की श्रेणी में आता है।

प्राधिकरण की योजना में शामिल नीरंजनपुर की सर्वे नम्बर 416/4, 416/5, 417/2 और 417/3 की कुल जमीन 3.318 हेक्टेयर, जो कि 3 लाख 32 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक होती है, उसे भू-धारक मनोहर देव को ड्राइव इन सिनेमा निर्माण के लिए सशर्त दी गई थी और इसी आधार पर इस जमीन को योजना से मुक्त किया गया। प्राधिकरण ने संकल्प क्रमाक 221, दिनांक 30.11.1992 के द्वारा यह अनुमति दी और साथ ही योजना से समन्वय करते हुए मार्ग के निर्माण और विभिन्न विभागों से अनुमति प्राप्त कर समय सीमा में ड्राइव इन सिनेमा बनाना था।


दरअसल, उस जमाने में ड्राइव इन सिनेमा का नया कंसेप्ट आया था, जिसमें कार में बैठे-बैठे सिनेमा का आनंद लिया जा सकता है। मगर जिन शर्तों पर जमीन छुड़वाई उसका पालन मौके पर नहीं किया और रेसीडेंशियल कम कमर्शियल कॉम्प्लेक्स का नक्शा मंजूर करवाने की अनुमति 2014 में प्राधिकरण से मांगी गई। तब अग्रिबाण ने सिनेमा के नाम पर छुड़वाई करोड़ों की जमीन बेच खाई शीर्षक से इस पूरे फर्जीवाड़े को उजागर किया था, जिसके चलते प्राधिकरण की तत्समय हुई बोर्ड बैठक में एनओसी ना देने और शर्तों के उल्लंघन के चलते जमीन को पुन: योजना में शामिल कर भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया। दरअसल, यह जमीन बाद में मूल भू-धारक मनोहर देव ने एक गुटखा मालिक तकतानी को यह जमीन बेच दी और बाद में यही विवादित जमीन रेवाचंद और अन्य को भी विक्रय हो गई। प्राधिकरण का कहना है कि 27.11.1992 को योजना 114 भाग-2 का अवॉर्ड पारित किया गया था और इस जमीन पर निजी विकास की अनुमति दी गई, जिसे बाद में निरस्त कर दिया था, जिसके चलते रेवाचंद ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्राधिकरण के निर्णय को चुनती दी और वर्तमान में स्टे के साथ यह याचिका प्रचलन में है।

बावजूद इसके चोरी-छुपे मौके पर अवैध निर्माण के प्रयास शुरू किए गए, जिसकी सूचना मिलने पर कल प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार ने अपने सम्पदा अधिकारी मनीष श्रीवास्तव और भू-अर्जन अधिकारी सुदीप मीणा को मौके पर जेसीबी लेकर भिजवाया और चल रहे निर्माण कार्य को रूकवा दिया। प्राधिकरण सीईओ श्री अहिरवार के मुताबिक यह हाईकोर्ट आदेश की भी अवमानना है और लीज शर्तों का भी उल्लंघन, जिसके चलते दी गई अनुमति निरस्त की गई थी। बावजूद इसके नगर निगम से अनुमति कैसे प्राप्त कर ली गई। इस संबंध में नगर निगम को भी दी गई अनुमति निरस्त करने के संबंध में पत्र लिखा जा रहा है और अभिभाषक के माध्यम से हाईकोर्ट को भी अवगत कराया जाएगा कि स्टे आदेश का उल्लंघन मौके पर निर्माण कार्य शुरू कर किया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि देवास नाका से पहले एबी रोड से लगी हुई निरंजनपुर की यह जमीन अत्यंत बेशकीमती है, जिसका बाजार भाव 25 से 30 हजार रुपए स्क्वेयर फीट से कम नहीं है और वर्तमान में 800 करोड़ रुपए से अधिक कीमत की यह जमीन है। प्राधिकरण का कहना है कि अदालती लड़ाई लड़ इस जमीन को वापस हासिल किया जाएगा और फिर टेंडर के जरिए इसे बेचकर शहर विकास में यह बड़ी राशि खर्च की जाएगी।

निरंजनपुर की जमीनों पर ही हुए ज्यादा खेल
ड्राइव इन सिनेमा के अलावा नीरंजनपुर में योजना 54 की छोड़ी साढ़े 7 एकड़ जमीन का भी खेल चर्चित रहा, जिसके चलते तत्कालीन दिग्गी सरकार के दो मंत्रियों को इस्तीफा भी देना पड़ा। वहीं वर्तमान में भी योजना 114 में शामिल जमीनों के मामले हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चल रहे हैं।

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