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भ्रामक विज्ञापन के मामले में बाबा रामदेव को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने बंद कर दिया ये केस, जानें

August 14, 2025

नई दिल्‍ली । बाबा रामदेव(Baba Ramdev) और पतंजलि(patanjali) को सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने बड़ी राहत(Big relief) दी है। अदालत ने IMA यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफ से दाखिल मामले(Cases filed) को अब बंद कर दिया है। IMA ने एलोपैथी को निशाना बनाकर भ्रामक विज्ञापन चलाने को लेकर पतंजलि के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। हालांकि, अदालत ने बीते साल ही योग गुरु और आचार्य बालकृष्ण को अदालत की अवमानना के मामले में पहले ही राहत मिल चुकी है।


सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने केस खत्म करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा है कि कोर्ट की तरफ से इस संबंध में पहले ही कई आदेश दिए जा चुके हैं और केस का उद्देश्य पहले ही पूरा हो चुका है। इससे पहले अदालत ने बीते साल 27 फरवरी को योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस शुरू किया था।

इसके बाद अगस्त में उनके खिलाफ जारी कार्यवाही को बंद कर दिया गया था। दोनों की तरफ से बगैर शर्त माफी मांगे जाने के बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था।

बेंच ने कहा, ‘कई आदेशों के बाद रिट याचिका का मकसद पूरा हो चुका है और इसमें आगे विचार की कोई जरूरत नहीं है। ऐसे में रिट याचिका को खत्म किया जाता है। दोनों पार्टियों को अगर आगे कोई समस्या होती है, तो उन्हें उच्च न्यायालय जाने की छूट रहेगी।’

दिल्ली हाईकोर्ट ने डाबर मामले में घेरा

जुलाई में दिल्ली उच्च न्यायालय ने पतंजलि को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक विज्ञापन प्रसारित करने से रोक दिया था और कहा कि यह प्रथम दृष्टया टीवी और प्रिंट विज्ञापनों के जरिए अपमान का एक स्पष्ट और ठोस मामला है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने पतंजलि को विज्ञापन प्रसारित करने से रोकने का अनुरोध करने वाली डाबर की अंतरिम याचिका स्वीकार कर ली और पतंजलि को निर्देश दिया कि वह प्रिंट विज्ञापनों से ’40 जड़ी-बूटियों से बने साधारण च्यवनप्राश से क्यों संतुष्ट हों?’ वाली पंक्ति हटाकर विज्ञापन को संशोधित करे।

न्यायाधीश ने कहा, ‘इसी तरह, जहां तक टीवी विज्ञापनों (​​टीवीसी) का संबंध है, प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे विवादित टीवीसी से ‘जिनको आयुर्वेद या वेदों का ज्ञान नहीं है, चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा के अनुरूप, मूल च्यवनप्राश कैसे बना पाएंगे” पंक्ति हटाएं। इसी तरह, प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि टीवीसी के अंत में दी गई, ‘तो साधारण च्यवनप्राश क्यों’ वाली पंक्ति भी हटाएं।’ पीठ ने कहा कि संशोधनों के बाद पतंजलि को प्रिंट और टीवी विज्ञापन चलाने की अनुमति दी जाएगी।

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