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बाबरी विध्वंसः आरोपियों को बरी करने का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रतिकूलःकांग्रेस


नई दिल्ली। बाबरी विध्वंस मामले में लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, महंत गोपालदास, विनय कटियार और उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। जज एसके यादव ने कहा है कि विवादित ढांचा गिराने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी और ये घटना अचानक हुई थी।

अब इस फैसले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से कहा गया है कि बाबरी मस्जिद ढहाये जाने के मामले में सभी आरोपियों को बरी करने का निर्णय उच्चतम न्यायालय के फैसले के प्रतिकूल है। कांग्रेस की तरफ से आगे कहा गया कि संविधान में सहज विश्वास रखने वाला प्रत्येक भारतीय उम्मीद करता है कि केंद्र, राज्य सरकार बाबरी मामले में विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करेगी।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे है। उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के 9 नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था, पर विशेष अदालत ने सभी दोषियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत का निर्णय साफ तौर से उच्चतम न्यायालय के निर्णय के भी प्रतिकूल है। “

बता दें कि आज अदालत ने सीबीआई के साक्ष्यों को नाकाफी करार देते हुए सबूतों के अभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया। ये केस बीते 28 साल से अदालत में लंबित था। आपको बता दें कि 6 दिसंबर, 1992 में हिंसक कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के विवादित ढांचे को गिरा दिया था। 32 अभियुक्तों पर आरोप थे कि उन्होंने विवादित ढांचा को गिराने के लिए साजिश रची थी।

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