
भोपाल। आज से 39 साल पहले जिस भारत भवन के निर्माण में भूरीबाई ने एक मजदूर के रूप में सिर पर ईंटे ढोई थीं, उसी भारत भवन की 39वीं वर्षगांठ समारोह में वह आज मुख्य अतिथि बनेंगी। भारत भवन में छह रुपए प्रतिदिन पर मजदूरी करने वाली भूरीबाई अब प्रख्यात चित्रकार बन गई हैं। गौरतलब है कि हाल ही में भूरीबाई को पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। भूरीबाई कहते हैं कि मुझे लगता है आज भारत भवन में अतिथि बनना पद्मश्री या दुनिया के किसी भी पुरस्कार से बड़ा है, क्योंकि भारत भवन पहुंचकर मुझे वो सारी बातें आ गईं, जब मैं यहां ईंटे ढोती थीं। पेड़ के नीचे बैठकर रोटी खाती थी। इस भारत भवन के हर कोने पर मेरा पसीना गिरा। इसी भारत भवन में मेरी पेंटिंग भी लगी हुई है। इस भारत भवन ने मेरे मजदूर से कलाकार बनने की यात्रा देखी है।
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