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CM योगी की बड़ी कार्रवाई, यूपी में हलाल प्रमाणपत्र वाले उत्पादों की बिक्री पर लगाया प्रतिबंध

लखनऊ (Lucknow) । लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाए गए हैं कि कूटरचित दस्तावेजों का सहारा लेकर हलाल सर्टिफिकेट (Halal Certificate) के नाम पर इकट्ठा हो रही करोड़ों की अवैध कमाई से आतंकवादी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फन्डिंग की जा रही है। ताजा घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के अवध क्षेत्र के पूर्व उपाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार शर्मा ने लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। उधर, सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने हलाल प्रमाणपत्र वाले उत्पादों, औषधियों, चिकित्सा व प्रसाधन सामग्रियों की यूपी में बिक्री पर शनिवार को प्रतिबंध लगा दिया है।

इनके निर्माण, भंडारण, वितरण और खरीद-फरोख्त पाए जाने की स्थिति में विधिक कार्यवाही की जाएगी। यह प्रतिबंध केवल यूपी के घरेलू बाजार में बिक्री पर प्रभावी होगा। हलाल प्रमाणन वाले उत्पादों के निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दरअसल, कई संस्थाएं हलाल प्रमाणपत्र पर रोक लगाने की मांग करती रही हैं। प्रदेश में खान-पान के उत्पादों की गुणवत्ता आदि के प्रमाण पत्र के लिए ‘एफएसएसएआई’ और ‘आईएसआई’ जैसी संस्थाओं को अधिकृत किया गया है। इसके अलावा कोई भी निजी संस्था द्वारा यह जरूरी है कि वह नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फार सर्टिफिकेशन बाडीज़ के जरिये पंजीकरण कराना जरूरी है।


जमीयत उलेमा हिन्द ट्रस्ट समेत पांच नामजद
एफआईआर के मुताबिक, हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुम्बई, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र मुम्बई आदि द्वारा एक धर्म विशेष के ग्राहकों को मजहब के नाम से कुछ उत्पादों पर ‘हलाल प्रमाणपत्र’ प्रदान कर उनकी ब्रिकी बढ़ाने के लिए आर्थिक लाभ लेकर अवैध कारोबार चलाया जा रहा है। इन कंपनियों के पास किसी उत्पाद को प्रमाण पत्र देने का कोई अधिकार नहीं है। इन कंपनियों द्वारा कूटरचित प्रमाण पत्र तैयार कर आर्थिक लाभ लेकर विभिन्न कंपनियों को ‘हलाल प्रमाण’ पत्र जारी किया जा रहा है। एफआईआर के मुताबिक, यह सामाजिक विद्वेष बढ़ाने वाला तो है ही जनआस्था के साथ छल भी है। शिकायतकर्ता शैलेंद्र कुमार शर्मा ने इसे बड़ी साजिश बताया है।

शिकायतकर्ता बोले
एफआईआर दर्ज करवाने वाले भाजयुमो के पूर्व उपाध्यक्ष शैलेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि किसी उत्पाद पर प्रमाणपत्र सरकारी संस्था द्वारा ही दिया जा सकता है। गैरकानूनी रूप से ये संस्थाएं करोड़ों की वसूली कर रही हैं। यह रकम कहां जाती है। किस मद में इस्तेमाल होती है। इसका आडिट होना चाहिए।

हलाल प्रमाणपत्र
हलाल सर्टीफिकेट का मतलब है कि इस उत्पाद में इस्लाम में हराम माने जाने वाले जानवर के बायप्रोडक्ट का उपयोग नहीं हुआ है। इसका प्रमाणपत्र देकर संस्थाएं कंपनियों से शुल्क वसूलती हैं। इससे करोड़ों की धनराशि एकत्र की जाती है।

आखिर ऐसी बातें क्यों की जा रही हैं मौलाना नूरी
हम मुसलमानों के लिए हलाल का खाना वाजिब है। मोटे तौर पर तो यही कहा जा सकता है कि शरई तरीके से काटे गये जानवर का मांस या उस मांस के किसी तत्व से बने कोई अन्य उत्पाद को हलाल प्रमाणन की जरूरत होती है। मगर हलाल प्रमाणन पर सवाल उठाने जैसे बातें आखिर क्यों की जा रही हैं। इससे हम मुसलमानों की भावनाएं आहत होती हैं। मौलाना कल्बे सिब्तैन नूरी, शिया धर्म़गुरु

शाकाहारी उत्पादों पर भी दे रहे हलाल प्रमाणपत्र
खास बात यह कि शाकाहारी उत्पादों जैसे तेल, साबुन, टूथपेस्ट, मधु आदि की बिक्री के लिए भी हलाल प्रमाण पत्र दिया जा रहा है, जबकि शाकाहारी वस्तुओं पर ऐसे किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होती है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि मजहब की आड़ लेकर एक वर्ग विशेष में अनर्गल प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है कि ऐसे उत्पाद का प्रयोग न करें जिसे इनकी कम्पनी द्वारा हलाल प्रमाणपत्र न दिया गया हो।

हलाल प्रमाणपत्र वाली खाद्य सामग्री की बिक्री दंडनीय
उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणन वाली खाद्य दवाओं और चिकित्सा व प्रसाधन सामग्रियों का निर्माण, भंडारण या खरीद-फरोख्त नहीं हो पाएगी। राज्य सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया है। अब इन उत्पादों पर हलाल प्रमाणन कराने वालों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी। एफएसडीए की अपर मुख्य सचिव अनीता सिंह ने इस संबंध में शनिवार को शासनादेश जारी कर दिया है।

तमाम औषधियों, खाद्य सामग्रियों जैसे रवा, तेल, बेसन, बिस्कुट, चिकित्सा और प्रसाधन सामग्रियों की पैकिंग या लेबल पर हलाला प्रमाणन अंकित किया जा रहा है। जबकि औषधियों, चिकित्सा युक्तियों एवं प्रसाधन सामग्रियों का निर्माण, भंडारण, वितरण एवं क्रय-विक्रय औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम-1940 व उससे जुड़ी नियमावली के तहत किया जाता है। इनमें हलाल प्रमाणन का कोई प्रावधान नहीं है बल्कि औषधियों व चिकित्सा सामग्री की लेबलिंग निर्धारित प्रावधानों के अनुसार न करने या लेवल पर गलत व भ्रामक तथ्य छापने की दशा में वो सामग्री मिथ्याछाप हो जाती है। ऐसा होने पर नियमावली में इसे दंडनीय माना गया है। शासनादेश में कहा गया है कि अब प्रदेश में हलाल प्रमाणीकरण वाली दवाओं, चिकित्सा व प्रसाधन सामग्रियों का निर्माण, भंडारण, वितरण या क्रय-विक्रय पाया गया तो संबंधित व्यक्ति या फर्म के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

इनके खिलाफ रिपोर्ट
1. उत्पादन कंपनी हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई
2. जमीयत उलेमा हिन्द हलाल ट्रस्ट,दिल्ली
3. हलाल काउंसिल आफ इंडिया,मुंबई
4. जमीयत उलेमा महाराष्ट्र, मुंबई
5. अन्य अज्ञात उत्पादन कंपनियों एवं कंपनियों के मालिक
6. राष्ट्रविरोधी षड्यंत्र करने वाले
7. अधिसूचित आतंकवादी संगठनों व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त संगठनों की फंडिंग करने वाले लोग
8. जनआस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले

खास बातें
-यूपी में 92 कंपनियों को हलाल प्रमाणपत्र लेना पड़ता है
-एफएसएसएआई व आईएसआई ही ऐसे प्रमाणपत्र दे सकते हैं
-प्रमाणपत्र देने वाली संस्था को नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बाडीज़ में पंजीकरण कराना जरूरी

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