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बड़ा खुलासा: मालेगांव ब्लास्ट केस में योगी और मोहन भागवत को भी फंसाने की हुई थी साजिश

August 02, 2025

लखनऊ। मालेगांव बम ब्लास्ट मामले (Malegaon Bomb Blast Case) में भगवा आंतवाद (Saffron Terrorism) का नैरेटिव गढ़ने का प्रयास पूरी तरह फेल हो गया है। मुंबई की एक विशेष अदालत ने जब प्रज्ञा ठाकुर (Pragya Thakur) और कर्नल पुरोहित (Colonel Purohit) समेत सात आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया तो कांग्रेस पर भी कई सवाल उठने लगे। विशेष अदालत ने कहा था कि अभियोजन पक्ष के दावों में कई कमियां थीं और सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया गया। साथ ही कोर्ट ने एटीएस और एनआईए की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं।


इस मामले के कुल 39 गवाहों में से एक ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उसपर आरएसएस और दक्षिणपंथी संगठनों के अन्य कई लोगों को फंसाने का भी दबाव डाला जा रहा था। मालेगांव ब्लास्ट केस में सरकारी गवाह रहे मिलिंद जोशी ने कहा कि उन पर योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का नाम लेने का दबाव बनाया गया था। इसके लिए उन्हें कई दिनों तक हिरासत में रखा गया।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उस समय भी हिंदुत्व का फायरब्रांड चेहरा थे। ऐसे में उन्हें भी इस साजिश में झोंकने का पूरा इंतजाम हो गया था। दूसरी तरफ मोहन भागवत भी आरएसएस के शीर्ष नेताओं में थे। उनके आरएसएस चीफ बनने की संभावना भी बढ़ गई थी। इस मामले में जांच अधिकारी रहे महबूब मुजावर ने कहा कि केस को इस तरह प्रस्तुत किया गया था जैसे कि ‘भगवा आतंकवाद’ का नैरेटिव स्थापित करना हो।

महबूब मुजावर का कहना था कि तत्कालीन सरकार हिंदुत्व की राजनीति को खत्म करना चाहती थी। वहीं इस मामले में गवाह रहे मिलिंद जोशी ने कहा कि उनपर बेहद दबाव था कि असीमानंद और योगी आदित्यनाथ का नाम इस मामले में लिया जाए। इसके लिए जांच अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित भी किया।

कौन-कौन थे आरोपी
मालेगांव ब्लास्ट मामले में बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी. समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी आरोपी थे। इस मामले में सभी आरोपियों को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि आतंकवाद को कोई धर्म नहीं होता है और कोई भी धर्म हिंसा को सही नहीं ठहराता। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। सिर्फ कहानियों के आधार पर सोच बना लेना पर्याप्त नहीं है। इसके लिए ठोस सबूतों की जरूरत होती है जो कि जांच एजेंसियां नहीं प्रस्तुत कर पाई हैं।

बता दें कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव के भीकू चौक पर एक दोपहिया वाहन पर बम धमाका हुआ था जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वाले सभी मुस्लिम थे। इस मामले में स्थानीय पुलिस ने केस दर्ज किया था और फिर जांच एटीएस को सौंप दी गई थी। यहां एक मोटरसाइकल मिली थी जिसके नंबर के साथ छेड़छाड़ की गई थी। वहीं असली नंबर प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर दर्ज था।

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