पटना (Patna) । बिहार बीजेपी अध्यक्ष (Bihar BJP President) सह उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी (Deputy Chief Minister Samrat Chaudhary) ने कहा है कि नौकरी के नाम पर झूठ का ढोल बजाने से लालू परिवार का प्रायश्चित नहीं होने वाला है। इस परिवार ने लालू यादव (Lalu Yadav) के रेलमंत्रित्व काल में रेलवे में नौकरी देने के लिए बिहार के सैकड़ों युवकों से न केवल जमीन-मकान हथियाए हैं बल्कि रेलवे के रांची और पुरी के दो होटलों को लीज पर देने के लिए कोचर बंधुओं से पटना के सगुना मोड़ के पास करोड़ों की जमीन भी फर्जी ढंग से अपने नाम करा ली है। यह वही साढ़े तीन एकड़ जमीन है जिसपर लालू के दोनों लाल ‘द बिगेस्ट मॉल ऑफ बिहार’ बनवा रहे थे।
सम्राट चौधरी ने कहा कि तेजस्वी यादव बताए कि ललन चौधरी और हृदयानंद चौधरी कौन थे, जिन्होंने अपनी करोड़ों की जमीन लालू परिवार को गिफ्ट कर दी? क्या यह सच नहीं है कि विशुन राय और रत्नेश्वर यादव के परिवार के सदस्यों को जमीन के एवज में रेलवे में नौकरी दी गई? लालू परिवार में हिम्मत है तो उस पूरी सूची का खुलासा करें, जिनसे जमीन और मकान लेकर रेलवे में नौकरी दी गई थी। उन्होंने कहा है कि विधान परिषद के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ललन चौधरी ने 2014 में पटना शहर की 500 वर्गफीट कीमती जमीन में बने चहारदीवारी सहित पक्के मकान को राबड़ी देवी को दान क्यों कर दिया था? इसके मात्र कुछ दिनों बाद यही चतुर्थवर्गीय कर्मचारी ने 62 लाख कीमत की 7.75 डिसमिल जमीन राबड़ी देवी और लालू प्रसाद की पांचवीं बेटी हेमा यादव को दान क्यों कर दी? इसी प्रकार रेलवे के कोचिंग कॉम्प्लेक्स स्टोर, राजेन्द्र नगर, पटना में कार्यरत खलासी हृदयानंद चौधरी ने अपनी पटना शहर स्थित 70 लाख रुपये की 7.76 डिसमिल जमीन लालू परिवार को दान में क्यों दे दी?
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव महज अपने 17 महीने के कार्यकाल में पांच लाख नौकरी देने का झूठा ढोल पीटने के बजाय अपने पिता के रेलमंत्रित्व काल में नौकरी के बदले जमीन हथियाने के किस्से का खुलासा करें। उन्हें यह बताना चाहिए कि आखिर अलग-अलग जगह के रहने वाले ललन चौधरी और हृदयानंद चौधरी ने लालू परिवार को एक ही दिन 1 करोड़ 40 लाख रुपये मूल्य की 15 डिसमिल जमीन दान क्यों कर दी?
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