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भाजपा की नीतियों से कृषि अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट और बर्बाद : अखिलेश

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की नीतियों से कृषि अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट और बर्बाद हो गई है। किसान प्राकृतिक आपदा से ज्यादा सरकारी रवैए से संकट में हैं। भाजपा ने कर्ज माफी, आय दोगनी करने तथा उपज की उत्पादन लागत का डेढ़ गुना दाम देने के झूठे वादों से उसके वोट ले लिए और फिर कारपोरेट के पास उसको बंधक बनाने की साजिश को अंजाम दे दिया।

उन्होंने कहा कि बेमौसम बरसात और धान की खरीद में भ्रष्टाचार के चलते किसान बदहाली में है और सरकार उसके प्रति संवेदनाशून्य व्यवहार कर रही है। ऐसे में किसान आत्महत्या न करेंगे तो क्या करे? बेमौसम बरसात में खेतों में तैयार और खलिहान में पड़ी धान की काफी फसल खराब हो गई है। तिलहनी फसलों को भी नुकसान हुआ है। कई स्थानों पर धान क्रय केन्द्रों के बाहर खुले में रखा धान भी भीगकर खराब हो गया। पराली जलाने को लेकर भी किसानों का उत्पीड़न हो रहा है।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि किसान के धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1,888 रुपये प्रति कुंतल है। लेकिन, बाजार में उसे हजार, 1,200 रुपये में ही धान बेचना पड़ रहा है। धान क्रय केन्द्रों पर किसान को अपमानित किया जाता है। धान की खरीद में कई बाधाएं डाली जाती हैं। धान की क्वालिटी, नमी आदि कमियां बता कर किसान लौटा दिया जाता है। उसे खाद के दाम भी देने में देरी की जाती है।

उन्होंने कहा कि किसान को बाजार से महंगा डीजल, खाद, कीटनाशक, खेती के उपकरणों की खरीद करनी पड़ती है। भाजपा राज में 01 अक्टूबर से डीएपी खाद पर 50 रुपये और एनपीके खाद पर 78 रुपये प्रति बोरी दाम बढ़े हैं। सरकारी देयों की वसूली बेरहमी से की जा रही है। किसान को आसानी से बैंकों से कर्ज नहीं मिल रहा है। फलतः वह किसी न किसी साहूकार के चंगुल में फंसना पड़ता है। जब घर-बाहर से वह सब तरफ से निराश, हताश हो जाता है तो अवसाद का शिकार होता है।

अखिलेश ने कहा कि किसानों को इस वर्ष धान की फसल से बहुत उम्मीदे थी। लेकिन, भाजपा सरकार में उसे महंगाई से लेकर भ्रष्टाचार तक की मार सहनी पड़ रही है। भाजपा सरकार ने अब ऐसी व्यवस्था की है कि किसान का खेत पर मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और अब उसकी खेती भी कारपोरेट की शर्त पर होगी। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि किसान भगवान भरोसे ही जिंदा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारों में उसे शोषण और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा है। (एजेंसी, हि.स.)

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