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अफ्रीकी देश नाइजीरिया में बोको हरम आतंकियों ने की 60 लोगों की हत्या

September 07, 2025

मैदुगुरी. नाइजीरिया (Nigeria) में पूर्वोत्तर के एक गांव में शुक्रवार रात (स्थानीय समयानुसार) को बोको हरम (Boko Haram) के आतंकियों ( terrorists) ने जमकर तांडव मचाया। आतंकियों ने गांव में हमला कर कम से कम 60 लोगों ( 60 people) की हत्या कर दी। यह हमला दारुल जमाल गांव पर हुआ, जहां हाल ही में विस्थापित लोग शिविर से लौटकर अपने घरों में बसना शुरू हुए थे।

गांव के एक निवासी मोहम्मद बाबागाना ने बताया कि देर रात हुआ यह हमला बेहद खौफनाक था। बोर्नो राज्य के राज्यपाल बाबागाना जुलुम ने शनिवार शाम गांव का दौरा किया और पुष्टि की कि मरने वालों की संख्या 60 से अधिक है। जुलुम ने कहा, ‘हम प्रभावित लोगों के साथ हैं और उनसे अपील की है कि वे अपने घर न छोड़ें। सुरक्षा बढ़ाने और भोजन व दूसरी जरूरी मदद उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है।’

हमलावरों ने दर्जनभर घरों को लगाई आग
बामा की स्थानीय सरकार ने बताया कि हमलावरों ने दर्जनभर से ज्यादा घरों को जला दिया और 100 से अधिक लोग अपने घर छोड़कर भागने पर मजबूर हो गए। आतंकवादी मामलों के विशेषज्ञ और इंस्टीट्यूट फॉर सिक्योरिटी स्टडीज से जुड़े ताइवो अदेबायो ने बताया कि यह हमला बोको हरम के गुट जमातु अहलिस सुन्ना लिद्दावाती वाल-जिहाद ने किया।

बोको हरम ने 2009 में उठाए थे हथियार
नाइजीरिया के घरेलू जिहादी बोको हरम ने 2009 में हथियार उठाए थे। इसका मकसद पश्चिमी शिक्षा का विरोध करना और अपनी कट्टरपंथी इस्लामी व्यवस्था थोपना था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस संघर्ष में अब तक करीब 35,000 नागरिक मारे जा चुके हैं और 20 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं।

2021 में अबुबकर की मौत के बद दो हिस्सों में बंट गया बोको हरम
2021 में बोको हरम के कुख्यात नेता अबुबकर शेकाऊ की मौत के बाद संगठन दो हिस्सों में बंट गया। एक गुट इस्लामिक स्टेट समूह से जुड़ा है और इसे इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविंस (ISWAP) के नाम से जाना जाता है। यह गुट मुख्यतः सेना पर हमले करता है। दूसरा गुट जमातु अहलिस सुन्ना लिद्दावती वल-जिहाद (JAS) है, जो अक्सर आम नागरिकों को निशाना बनाता है और फिरौती व लूटपाट से अपना अस्तित्व बनाए रखता है।

JAS को ISWAP या सेना को जानकारी देने का संदेह
ताइवो अदेबायो ने बताया कि जब JAS बड़ी संख्या में लोगों की हत्या करता है, तो अक्सर इसका कारण यह होता है कि उन्हें संदेह होता है कि पीड़ित लोग ISWAP या सेना को उनके बारे में जानकारी दे रहे हैं। बामा का इलाका एक दशक पहले भी बोको हरम के हमलों का गढ़ रहा था, जिस कारण बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए। हाल के वर्षों में सेना की कार्रवाई के बाद यहां के कई गांवों में विस्थापित लोगों को दोबारा बसाया गया, जिनमें से एक दारुल जमाल भी है, जहां जुलाई में लोग लौटे थे।

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