
डेस्क: जब से चीन (China) ने रेयर अर्थ मैग्नेट्स (Rare Earth Magnets) के एक्सपोर्ट पर रोक लगाया है तब से ही वैश्विक उद्योग जगत (Global Industry) में एक हलचल सी मच गई है. भारत (India) भी इस असर से अछूता नहीं रहा है. चीन की मजबूत पकड़ होने के कारण दुनियाभर के टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर इसका सीधा प्रभाव पड़ा है. लेकिन केंद्र सरकार (Central Government) इस दिशा में तेजी से कदम आगे बढ़ा रही है.
Union Minister for Heavy Industries और Steel मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने बताया कि देश में रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक सब्सिडी योजना तैयार की जा रही है, जिस पर आने वाले 15 से 20 दिनों में निर्णय लिया जाएगा.
रेयर अर्थ मैग्नेट्स नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन, इलेक्ट्रिक वाहनों और कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के बनने में अहम भूमिका निभाते हैं. इन्हीं की मदद से ईवी की ट्रैक्शन मोटर और पावर स्टीयरिंग मोटर चलती है. लेकिन भारत में इनका प्रोडक्शन अब तक सीमित था. जिससे चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता बनी हुई थी.
इस स्थिति से निपटने के लिए भारत अब घरेलू स्तर पर मैग्नेट्स के निर्माण पर ध्यान दे रहा है. कुमारस्वामी ने बताया कि हैदराबाद की एक कंपनी इस दिशा में इंटरेस्ट दिखा रही है और उसने इस साल दिसंबर तक 500 टन की आपूर्ति का वादा भी किया है. साथ ही, सरकार जापान और वियतनाम जैसे विकल्पों से भी मैग्नेट्स आयात करने के विकल्प तलाश रही है, जब तक घरेलू उत्पादन पूरी तरह शुरू नहीं हो जाता.
Ministry of Heavy Industries में सचिव कामरान रिजवी ने बताया कि भारत में इन रेयर मिनरल्स के प्रोडक्शन में लगभग दो साल का समय लगेगा. तब तक अंतरिम समाधान के तौर पर आयात पर निर्भरता बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि जापान और वियतनाम में रेयर अर्थ है और सरकार वहां से इसे पूरा करने की कोशिश कर रही है.
सरकार द्वारा लाई जा रही सब्सिडी योजना के तहत कंपनियों को वित्तीय मदद दी जाएगी. ताकि वो प्रोसेसिंग प्लांट वहां बना सकें, जहां रेयर अर्थ ऑक्साइड को चुंबकों में बदला जा सके. इससे भारत में न सिर्फ आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा, बल्कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सेक्टर को भी मजबूती मिलेगी.
इस पूरी योजना की लागत को लेकर फिलहाल चर्चा जारी है. रिजवी ने स्पष्ट किया कि अगर इंसेंटिव अमाउंट 1,000 करोड़ रुपये से कम रहती है, तो योजना को भारी उद्योग मंत्री और वित्त मंत्री मिलकर मंजूरी दे सकते हैं. लेकिन ये अमाउंट 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा होती है, तो इसे मंजूरी के लिए केंद्रीय कैबिनेट के पास भेजा जाएगा. इस कदम से न केवल चीन पर निर्भरता घटेगी, बल्कि भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक और ईवी में एक अहम भूमिका निभा सकेगा.
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