img-fluid

100 करोड़ के भूखंडों को हथियाने के लिए सहकारिता और भूमाफिया ने मिला लिए हाथ

November 28, 2025

इंदौर। ऑपरेशन भूमाफिया के ठंडे बस्ते में चले जाने के चलते एक बार फिर गृह निर्माण संस्थाओं में जादूगरी शुरू हो गई है। इंदौर विकास प्राधिकरण की योजना 114 पार्ट-2 में बेशकीमती 81 भूखंडों को आबंटित करवाने के लिए भूमाफिया ना सिर्फ सक्रिय हुआ, बल्कि सहकारिता विभाग के साथ हाथ भी मिला लिया और 100 करोड़ से अधिक कीमत के इन भूखंडों को हासिल करने के लिए नियमों को ताक पर रख वरीयता सूची बनवाकर प्राधिकरण को भिजवा दी। दूसरी तरफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका लगाकर प्राधिकरण पर अब दबाव बनाया जा रहा है कि वह फटाफट इन भूखंडों का आबंटन कर दे। दूसरी तरफ सहकारिता विभाग के ही संयुक्त संचालक ने इस पूरी प्रक्रिया पर आपत्ति जताई और एक विस्तृत पत्र भी उपायुक्त को लिखा, जिस पर गोल-मोल जवाब दिया गया।

प्राधिकरण के साथ संकल्प 9 के तहत कई गृह निर्माण संस्थाओं ने अनुबंध किए थे और बाद में जब इन संस्थाओं पर भूमाफियाओं ने कब्जे शुरू किए तो वास्तविक सदस्यों को हटाकर नए सदस्य बना दिए और संस्थाओं पर भी अपने रिश्तेदारों और पसंदीदा पदाधिकारियों की नियुक्ति करवा दी। इसमें कर्मचारीगण गृह निर्माण संस्था भी ना सिर्फ विवादित रही, बल्कि दो बार जेल जा चुके भूमाफिया ने इस संस्था पर भी कब्जा जमाया और वरीयता सूची में भी हेरा-फेरी करवाई। 1990 में प्राधिकरण और संस्था के बीच अनुबंध हुआ था जो बाद में निरस्त भी कर दिया। मगर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से संस्था के पक्ष में फैसला आया, जिसके चलते प्राधिकरण को पुन: अनुबंध जिंदा करना पड़ा। इतना ही नहीं, प्राधिकरण ने तो संस्था द्वारा जमा कराई गई विभिन्न चेकों की राशि को भी वापस लौटा दिया था। मगर फिलहाल ऑपरेशन भूमाफिया ठंडा पड़ा है और जमानत पर भूमाफिया भी जेल से छूटकर बाहर आ गए और एक बार फिर जमीनों के खेल में जुटे हैं।


नतीजतन सहकारिता विभाग, जो हमेशा से भूमाफियाओं की जेब में रहा है, उसके साथ सांठगांठ कर पिछले दिनों वरीयता सूची भिजवा दी। जबकि नियमों के मुताबिक डीआर यानी उपायुक्त को वरीयता सूची जारी करने का अधिकार ही नहीं है और जेआर यानी संयुक्त आयुक्त ही इसे मंजूरी दे सकते हैं। मगर ऐसे तमाम नियमों को ताक में रख विवादित पूर्व अंकेक्षक, पाठक और इस संस्था पर प्रशासक रहे संजय कुचनकर इस खेल में प्रमुख भूमिका में बताए जाते हैं। जब इस बारे में श्री कुचनकर से चर्चा करना चाही तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। उन पर आरोप है कि बड़े लेन-देन के साथ वरीयता सूची में फेरबदल किया गया। यहां तक कि 10 अक्टूबर को संयुक्त आयुक्त बीएल मकवाना ने भी इस वरीयता सूची को लेकर 17 बिन्दुओं का 4 पेज का पत्र उपायुक्त को सौंपा, जिसका गोलमोल जवाब दिया गया।

दूसरी तरफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल यानी ईओडब्ल्यू द्वारा भी इस घोटाले की जांच की जा रही है और प्राधिकरण से भी अभी 21 नवम्बर को ईओडब्ल्यू के निरीक्षक हरिओम दीक्षित ने सदस्यता सूची से लेकर अन्य दस्तावेजों की मांग की है। दूसरी तरफ प्राधिकरण के भू-अर्जन और विधिक अधिकारी सुदीप मीणा का कहना है कि हाईकोर्ट में अवमानना याचिका भी दायर है और हमें तो सहकारिता विभाग से मिली सूची के आधार पर भूखंडों का आबंटन करना है। हालांकि इस संबंध में शिकायतें मिली हैं और उसकी जांच भी कराई जा रही है। दूसरी तरफ हाईकोर्ट में सीईओ को भी पार्टी बनाया गया है। चूंकि तत्कालीन सीईओ का तबादला हो गया है। लिहाजा उनकी ओर से जवाब अभी पेश किया जाना है। इसके चलते तारीख आगे बढ़ गई है। संस्था की वरीयता सूची को लेकर संयुक्त आयुक्त ने जो विस्तृत पत्र उपायुक्त को भेजा था उसका गोलमोल जवाब 4 नवम्बर को दिया गया, जिसमें कहा गया कि हाईकोर्ट के आदेश के पालन में 81 भूखंडों में से 72 पात्र सदस्यों की सूची प्राधिकरण को भेजी गई है और सूची का प्रकाशन भी समाचार-पत्र में करवाया गया। दूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि सहकारी निरीक्षक संजय कुचनकर सहित विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इस खेल को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है, जिसमें चर्चित भूमाफिया शामिल हैं।

Share:

  • इंदौर : सराफा चौपाटी के डेढ़ सौ लोग महापौर से मिले, भार्गव ने कहा दुकान नहीं लगेगी

    Fri Nov 28 , 2025
     सराफा में नहीं लगेगी दुकान, चाइनीज और मोमोज भी नहीं बेचने देंगे, वैकल्पिक स्थान दो से तीन दिन में तय कर लिया जाएगा इंदौर: महापौर ( mayor) भार्गव (Bhargava) ने कहा मोमोस (Momos) की दुकाने नहीं लगने दी जाएगी, जिन लोगों की चाइनीज, मोमोस की दुकान लग भी गई है वह भी बंद कराकर उन्हें […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved