
नई दिल्ली (New Delhi) । कांग्रेस (Congress) बदलाव के दौर से गुजर रही है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (mallikarjun kharge) 50 वर्ष से कम आयु के नेताओं को संगठन में हर स्तर पर पचास फीसदी हिस्सेदारी देने के फैसले को अमलीजामा पहनाने में जुटे हैं। नई कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) और एआईसीसी (AICC) के गठन के बाद पार्टी बदली हुई नजर आएगी। पर इस बीच पार्टी ने सबसे बड़ा बदलाव चुनाव (Election) की तैयारियों और रणनीति में किया है।
हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में जीत के बाद कांग्रेस पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर काफी उत्साहित है। पार्टी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। उसने तय किया है कि वह कर्नाटक की तर्ज पर चुनाव लड़ेगी। इसमें चुनाव गारंटियां, स्थानीय मुद्दे, एकजुटता और आक्रामक चुनाव प्रचार के साथ सर्वे के आधार पर उम्मीदवार का फैसला शामिल है।
पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल कह चुके हैं कि इस बार कर्नाटक की तर्ज पर टिकट वितरित किए जाएंगे। जीत की संभावना के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा, इसमें किसी तरह का कोई समझौता नहीं होगा। इसके लिए पार्टी कई तरह के सर्वे करा रही है। कांग्रेस चुनाव रणनीति में यह बेहद अहम बदलाव है।
चुनाव में उम्मीदवारों के चयन के लिए कांग्रेस अमूमन प्रदेश कांग्रेस से संभावित उम्मीदवारों के नाम लेती थी। इसके बाद छानबीन समिति के बाद तीन नाम का एक पैनल बनाकर केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा जाता था। पार्टी के एक नेता के मुताबिक इस पूरी कवायद के बावजूद टिकट बंटवारे में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। जमीनी हकीकत का सही अंदाजा नहीं होने से भी दिक्कत होती थी।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी ने विभिन्न एजेंसियों के जरिये कराए गए सर्वे रिपोर्ट के आधार पर टिकट दिए। प्रदेश कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक इससे जहां स्थानीय स्तर पर मजबूत उम्मीदवारों का चयन करने में आसानी हुई, वहीं टिकट बंटवारे के बाद होने वाली नाराजगी में भी कमी आई। इसलिए पार्टी ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सर्वे के आधार पर ही टिकट बंटवारे का फैसला किया है।
पार्टी के एक नेता के मुताबिक कांग्रेस हर सीट पर कई एजेंसियों के जरिये सर्वे करा रही है। इसमें मौजूदा विधायकों का प्रदर्शन और उनकी जीत की संभावना भी शामिल हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदर्शन और जीत की संभावना के आधार पर चुनावी राज्यों में कई विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि कुछ विधायकों और नेताओं की सीट में भी फेरबदल किया जा सकता है।
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