
नई दिल्ली. एक तरफ जहां सरकार कोरोना के कारण पस्त हुआ अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में लगी हुई है. वहीं दूसरी तरफ नकली उत्पादों की खरीद-फोरख्त इसे डूबाने में लगे हुए हैं. दरअसल, बीते साल नकली उत्पादों की खरीद-फरोख्त से अर्थव्यवस्था को 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
जालसाजीरोधी संस्था एएसपीए ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि 2019 में जालसाजी या नकली उत्पाद बनाने-बेचने की घटनाओं में भी 24 फीसदी इजाफा हुआ. जिसके कारण अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है और लगातार हो रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल फरवरी से अप्रैल तक नकली उत्पाद बनाने-बेचने के 150 मामले सामने आए जिसमें अधिकतर जाली पीपीई किट, सैनिटाइजर्स और मास्क से जुड़े थे. महामारी की वजह से इन उत्पादों की मांग अचानक बहुत बढ़ गई थी. मांग बढ़ाने से कंपनिया इसकी भरपाई नहीं कर पा रही थी. जिसके कारण नकली उत्पाद बनाकर बेचने वालों को मौका मिल गया. उन्होंने अपने जाल को और ज्यादा फैला लिया.
रिपोर्ट के मुताबिक 2018 से तुलना करें तो 2019 में जालसाजी के मामले 24 फीसदी बढ़ गए और कुल 1 लाख करोड़ रुपये की चपत सरकारी राजस्व को लगाई है. आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के अनुसार, दुनिया में नकली उत्पादों का कारोबार कुल व्यापार का 3.3 फीसदी है. जो कि लगातार तेजी से बढ़ रहा है. (एजेंसी, हि.स.)
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