
इंदौर। सबसे अधिक बिजली की खपत धनतेरस पर रहती है और इस बार बिजली कम्पनियों को उम्मीद थी कि दीपावली पर भी खपत बढ़ेगी, जिसके चलते उसने अतिरिक्ति बिजली खरीदी के साथ अन्य तैयारी कर रखी थी। मगर एक हजार मेगावाट की मांग कम रहने से इंदौर सहित तीनों बिजली कम्पनियों को करोड़ों रुपए का नुकसान भी उठाना पड़ा। इंदौर में दीपावली की रात 488 मेगावॉट बिजली की खपत हुई। चूंकि शाम को बाजार, दफ्तर और फैक्ट्रियां बंद हो जाती हैं, इसलिए बिजली की मांग में कटौती हुई।
दीपावली की रात 10 बजे तक जहां खपत 488 मेगावाट तक पहुंची, वहीं उसके बाद घटकर 380 पर आ गई। हालांकि कहीं भी शहर में इस अवसर पर विद्युत आपूर्ति बाधित नहीं हुई। दूसरी तरफ बिजली कम्पनियों को उम्मीद थी कि चूंकि बिजली की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। लिहाजा इस बार भी मांग अधिक रहेगी। मगर दीपावली पर पिछले साल जहां 13325 मेगावाट खपत हुई थी, तो इस बार यह घटकर 12457 मेगावाट ही रही, जिसके चलते 868 मेगावाट की मांग कम रही।
नतीजतन कम्पनियों को नुकसान भी उठाना पड़ा। दूसरी तरफ अब उपभोक्ता निजी कम्पनियों से सीधे बिजली खरीद सकेंगे, जिसमें किसी क्षेत्र या कॉलोनी के लिए निजी कम्पनी बिजली बेच सकेगी और चूंकि अलग-अलग निजी कम्पनियां काम करेंगी, जिससे प्रतिस्पर्धा भी होगी। फिलहाल प्रदेश में 6 सरकारी बिजली कम्पनियां हैं, जिनमें मध्य, पूर्व और इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी शामिल है, जो घरों से लेकर सभी जगह बिजली उपलब्ध कराती है। अब सूत्रों के मुताबिक केन्द्र सरकार विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन करते हुए निजी बिजली कम्पनियों को यह अधिकार दिए जाएंगे कि वे सीधे किसी क्षेत्र, कॉलोनी, टाउनशिप को बिजली बेच सके। इससे उपभोक्ताओं को यह आसानी होगी कि वह किसी भी कम्पनी से बिजली खरीद सकेगा, जो उसे बेहतर सुविधा देगी।
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