
नई दिल्ली । बांग्लादेश(Bangladesh) की शिक्षा व्यवस्था(education system) पर कट्टरपंथी समूहों (radical groups)का दबाव बढ़ता जा रहा है। वे सरकार की उस योजना का विरोध कर रहे हैं, जिसमें प्राथमिक विद्यालयों में संगीत और नृत्य शिक्षकों की नियुक्ति प्रस्तावित है। जमात-ए-इस्लामी, खिलाफत मजलिस और बांग्लादेश खिलाफत आंदोलन जैसे संगठनों ने मांग की है कि इसके बजाय धार्मिक शिक्षकों को नियुक्त किया जाए। उनका कहना है कि बच्चों को ईमानदार और जिम्मेदार नागरिक बनाने पर ध्यान देना चाहिए। कट्टरपंथी समूहों ने मुहम्मद यूनुस प्रशासन के हालिया प्रावधानों को निशाना बनाया है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक विद्यालयों में संगीत और नृत्य शिक्षकों की नियुक्ति की योजना बना रहा है। कुछ कट्टरपंथी समूहों ने इसे कुरान-विरोधी करार दिया है और चेतावनी दी है कि यदि ऐसा ही रहा तो बांग्लादेश फिर से सड़कों पर उतर आएगा।
बच्चे बन जाएंगे नास्तिक
चरमपंथी संगठनों ने चिंता व्यक्त की है कि कम उम्र में संगीत और नृत्य के संपर्क में आने से धार्मिक मूल्य कमजोर पड़ सकते हैं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि प्राथमिक विद्यालयों में नृत्य और संगीत शिक्षकों की नियुक्ति से बच्चे नास्तिक बन जाएंगे और अगली पीढ़ी इस्लाम में विश्वास खो देगी। इन समूहों का तर्क है कि बांग्लादेश के भविष्य की रक्षा के लिए स्कूलों में धार्मिक और नैतिक शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
धार्मिक और नैतिक शिक्षा लागू करनी होगी
चरमपंथी संगठनों का कहना है कि स्कूलों में धार्मिक और नैतिक शिक्षा को लागू करना अनिवार्य है, अन्यथा बांग्लादेश पिछड़ जाएगा। इस्लामिक मूवमेंट बांग्लादेश के अमीर सैयद रेजाउल करीम ने सरकार की शिक्षा नीति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि संगीत और नृत्य सिखाने से बच्चों और अगली पीढ़ी में भ्रष्टाचार बढ़ेगा। इन संगठनों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से ऐसे प्रावधानों को हटाने और धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देने की मांग की है।
फिर सड़कों पर उतर आएगा बांग्लादेश
कट्टरपंथी समूहों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार प्राथमिक विद्यालयों में कला शिक्षकों की भर्ती की दिशा में आगे बढ़ती है, तो सड़कों पर विरोध प्रदर्शन होंगे। उन्होंने यूनुस प्रशासन को चेताया कि यदि संगीत और नृत्य शिक्षकों के बजाय धार्मिक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई, तो बांग्लादेश एक बार फिर सड़कों पर उतर आएगा।
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