
इंदौर। चर्चित जमीनी जादूगरों के चंगुल में फंसी निपानिया स्थित टाउनशिप पिनेकल ग्रैंड में जहां बड़े भू-घोटाले हुए, वहीं अभी तीन दिन पहले निगम के कॉलोनी सेल ने विकास कार्य, निर्माण ना करने के साथ भूखंडों की खरीदी-बिक्री और अंतरण पर भी रोक लगाने का आदेश जारी किया। बावजूद इसके मौके पर विकास और निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी हैं। भूखंड पीडि़तों ने ही इसका वीडियो बनाकर निगम अधिकारियों को भेजा है। दूसरी तरफ प्रशासन भी इस टाउनशिप में हुए फर्जीवाड़े को उजागर कर चुका है। अग्रिबाण ने भी लगातार पिनेकल ग्रैंड और उससे जुड़े अन्य प्रोजेक्टों में हुई गड़बडिय़ों को उजागर किया है।
जिस तरह गृह निर्माण संस्थाओं पर कई भूमाफियाओं ने कब्जा किया, उसी तरह पिनेकल ड्रीम्स और उससे जुड़े प्रोजेक्टों में भी चौंकाने वाली धोखाधड़ी की गई। निपानिया स्थित पिनेकल ग्रैंड कॉलोनी की जांच कुछ समय पूर्व प्रशासन ने भी शुरू करवाई। पुलिस प्रशासन द्वारा घोषित भूमाफिया आशीष दास और पुष्पेन्द्र वडेरा ने पिनेकल में डाकाजनी की और उसके साथ इंदौर के कुछ रसूखदार भी शामिल हो गए। शिशुकुंज स्कूल के सामने 22 एकड़ की इस पिनेकल ग्रैंड टाउनशिप में खरीददारों को भूखंड के कब्जे आज तक नहीं मिले और मीना अग्रवाल, रितु अग्रवाल, संजय अग्रवाल और उनकी फर्म जेएसएम देवकॉन, जिसका पूर्व में नाम सिमन कंस्ट्रक्शन रखा, के संबंध में प्रशासन ने भी विस्तृत आदेश जारी कर रखे हैं, जिसमें पिनेकल ग्रैंड में जो अनूठा फर्जीवाड़ा हुआ उसका भी उदाहरण दिया गया।
पहले तो दो निजी कम्पनियों जेएसएम देवकॉन और जेएसएम देवकॉन इंडिया प्रा.लि. में जमीनों की रजिस्ट्रियां करवाई, फिर दूसरी दो अन्य मिलती-जुलती फर्में इसी नाम से बनाकर भूखंडों को बेच डाला। निपानिया की सर्वे नम्बर 260/1, 264/1 और 261/1 की 22 एकड़ जमीन पर नगर तथा ग्राम निवेश से अभिन्यास मंजूरी, डायवर्शन के पश्चात निगम के कॉलोनी सेल से विकास अनुमति आम मुख्त्यार के रूप में संजय अग्रवाल द्वारा ली गई। फर्मों के नाम बदलकर 4 एकड़ जमीन श्री जेएसएम देवकॉन्स के पक्ष में 4 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री करवा दी, वहीं शेष 5.30 एकड़ जमीन श्री जेएसएम देवकॉन इंडिया के नाम से कराई गई। अभी निगम के कॉलोनी सेल ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका और उस पर 20.12.2024 को दिए गए आदेश और शिकायतकर्ता पंकज पिता रमेश रिझवानी के संबंध में कॉलोनाइजरों को नोटिस जारी कर जवाब प्रस्तुत करने का कहा गया। मगर आधा-अधूरा और स्पष्ट जवाब निगम को भी नहीं मिला। दूसरी तरफ प्राप्त शिकायत भी जांच में सही पाई गई, जिसके चलते अपर आयुक्त ने कल एक आदेश जारी कर 8.311 हेक्टेयर पर दी गई अनुमति के आधार पर आगामी आदेश तक किसी भी प्रकार का विकास-निर्माण न करने और भूखंडों के क्रय-विक्रय अंतरण पर रोक लगा दी। बावजूद इसके जमीनी जादूगर इतने प्रभावशाली हैं कि जहां पीडि़तों की जमीनों को ठिकाने लगाते रहे, वहीं निगम आदेश के बावजूद मौके पर निर्माण और विकास कार्य भी बंद नहीं करवाया, बल्कि धड़ल्ले से जारी है। यानी निगम का रोक लगाने का आदेश भी कागजी साबित हुआ।
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