
किसी ने कहा-मेरा केबल का धंधा तो किसी ने अपने क्षेत्र में हर व्यक्ति को परिचित बताया
इंदौर। छोटी सरकार यानि नगर निगम के चुनाव में हर कोई पार्षद बनना चाहता है। भाजपा और कांग्रेस के कार्यालयों पर रोज दावेदारों की भीड़ लग रही है। इन बायोडाटा में दावेदारों ने टिकट देने के भी अजीबो-गरीब कारण लिखे हैं। कोई अपने आपको चक्कीवाला बताकर क्षेत्र में अच्छी जान-पहचान बता रहा है तो कोई कह रहा है कि मैंने कोरोना में लोगों की सेवा की। किसी की किराना दुकान भी हैं।
कोरोनाकाल में काम करने वालों की फेहरिस्त लंबी हैं। इसमें हर किसी ने भोजन, अनाज बांटने और इंजेक्शन में मदद करने की बात को प्रमुखता से दर्शाया है, वहीं कई महिलाएं तो दूसरे सामाजिक संगठनों से जुड़ी होने का बताकर टिकट मांग रही हैं। ऐसी भी महिलाएं भाजपा से टिकट मांग रही हैं, जिनके पति, भाई या पिता पार्टी में काम करते आ रहे हैं और उसको आधार बनाकर इस बार उन्होंने टिकट का दावा ठोंका है। केबल का व्यवसाय करने वाले भी दावा कर रहे हैं कि उनके क्षेत्र में घर-घर केबल कनेक्शन हैं और वे नियमित रूप से लोगों से मिलते हैं और उनके सुख-दुख में साथ देते हैं। सरकारी नौकरी करने के बाद 60 की उम्र पार कर चुके कुछ लोगों के बायोडाटा भी नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे को सौंपे गए हैं। हालांकि भाजपा में टिकट वितरण का जो फार्मूला होता है, वह सबसे अलग होता है। दावेदार को संगठन की कसौटी पर परखा जाता है और पता किया जाता है कि उसने संगठन में किस-किस दायित्व पर काम किया है। इसके अलावा संघ या अन्य सामाजिक संगठनों में काम करने वाले व्यक्ति को भी तवज्जो दी जाती है और इसके लिए अपने स्तर पर रायशुमारी की जाती है।
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