
हिंदु धर्म में धार्मिक त्यौहारो का विशेष महत्व है हर एक धार्मिक त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है । इसी बीच रंगो का त्यौहार होली भी मनाई जाएगी जो 28 मार्च को पड़ रही है । आपको बता दें कि हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। फाल्गुन माह (Falgun month) की पूर्णिमा तिथि 28 मार्च को 3 बजकर 27 मिनट से शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानी 29 मार्च को 2 बजकर 17 मिनट तक रहेगी।
जानें पूजा विधि
28 मार्च को सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी की तस्वीर इस तरह रखें कि पूजा के दौरान आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर हो। इसके बाद माता को जल, सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प, वस्त्र, दक्षिणा, धूप-दीप, इत्र और खीर का प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद लक्ष्मी चालीसा, मंत्र जाप या माता के 1008 नामों का उच्चारण करें। फिर आरती करके प्रसाद वितरित करें।
करें ये उपाय
लक्ष्मी जयंती (Laxmi Jayanti) के दिन पूजा के बाद संभव हो तो जरूरतमंदों को कुछ दान करें। इससे भी माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर माता का अभिषेक करें। माता को शंख अतिप्रिय है। माना जाता है कि शंख माता लक्ष्मी का भाई है क्योंकि उसकी भी उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान ही हुई थी।
लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Pujan) के बाद घर के ईशानकोण में गाय के दूध से बने घी का दीपक जलाएं और उसमें कलावे से बनी बत्ती लगाएं और थोड़ा सा केसर डालें।
पूजा के बाद पांच या सात कुंवारी कन्याओं को माता के प्रसाद की खीर प्रेमपूर्वक खिलाएं और उन्हें दक्षिणा और सामर्थ्य अनुसार वस्त्र आदि दान करें। इससे माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
पूजा के समय कौड़ी, केसर, हल्दी की गांठ और चांदी के सिक्के को साथ रखकर पूजा करें। इसके बाद एक पीले वस्त्र में इसे बांधकर उस स्थान पर रख दें जहां धन रखा जाता है। इससे काफी लाभ होगा।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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