नई दिल्ली! हर चीज के दो पहलू होते हैं, सकारात्मक और नकारात्मक (positive and negative)। यह बात शादी की उम्र के लिए भी लागू होती है। कम उम्र में शादी (marriage in age) होने के कई घातक परिणाम (dangerous result) सामने आ रहे हैं।
बता दें कि आज भी देश में बेटियों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मामले में स्थिति खराब है। कम उम्र में शादी करने से बेटियां मानसिक रूप से गुजरना पड़ता है। कम उम्र या नाबालिग बेटियों का विवाह उन्हें मानसिक तौर भी अस्वस्थ कर रहा है। इससे वे अवसाद ग्रस्त हो रही हैं, जिसके चलते आत्महत्या या फिर इसके प्रयास से जुड़ी घटनाएं भी बढ़ रही हैं। यह खुलासा द लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में किया गया है।
अध्ययन के अनुसार उत्तर प्रदेश और बिहार के हालात लगभग एक जैसे हैं। यहां 24 फीसदी (एक चौथाई) किशोरियों का समय से पहले विवाह होने पर उनमें मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां, आत्महत्या का प्रयास जैसे मामले सामने आए हैं। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न स्थित किशोर स्वास्थ्य केंद्र के शोधार्थियों ने यह अध्ययन पूरा किया है।
लड़कियों के लिए जल्दी शादी और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभी तक कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन किसी संभावित अध्ययन ने इसकी पुष्टि नहीं की थी।
अध्ययन के अनुसार जिन लड़कियों ने आत्महत्या करने का विचार किया या आत्महत्या का प्रयास किया उनका विवाह उन लड़कियों की तुलना में जल्दी हुआ, जिन्हें अवसाद नहीं था या फिर उनके मन में आत्महत्या का विचार नहीं आया था।
आंकड़ों के अनुसार, भारत सहित दक्षिण एशिया में एक-तिहाई लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले और 8% की शादी 15 साल से पहले हो जाती है। भारत में विश्वस्तर पर बाल वधुओं का एक तिहाई हिस्सा है, जिसमें 15-19 साल की 16% लड़कियों की शादी हो चुकी है।
शोधार्थी डॉ. शिल्पा अग्रवाल का कहना है कि बाल विवाह से अनचाही गर्भावस्था और घरेलू हिंसा के जोखिम पैदा होने लगते हैं। इससे हमें आत्महत्या जैसी घटनाएं दिखाई देती हैं। इन कड़ियों को समझने के लिए यह अध्ययन यूपी और बिहार में किया गया। दो बार सर्वे किया गया। पहले चरण में किशोरियों से, दूसरे चरण में नवविवाहित किशोरियों से चर्चा की गई। चौंकाने वाली बात है कि करीब 10% से अधिक का विवाह अध्ययन के दौरान ही देखने को मिला।