
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने बुधवार को बताया कि उसने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत चल रही जांच के सिलसिले में कंपनी के एक दर्जन से अधिक बैंक खातों को सीज कर दिया है. जांच एजेंसी का आरोप है कि इसमें जनता के उस पैसे की हेराफेरी की गई है, जो देश में सड़कों और हाईवे के निर्माण के लिए जारी किया गया था.
ED की स्पेशल टास्क फोर्स ने अपनी जांच में पाया कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के खातों में पड़ी भारी-भरकम राशि संदिग्ध है. कार्रवाई करते हुए एजेंसी ने कंपनी के 13 बैंक खातों को सीज कर दिया है, जिनमें कुल 54.82 करोड़ रुपये जमा थे. यह कार्रवाई फेमा (FEMA), 1999 की धारा 37A के तहत की गई है. जांच एजेंसी का कहना है कि यह मामला सीधे तौर पर धारा 4 के उल्लंघन से जुड़ा है. आरोप है कि जो पैसा नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा हाईवे प्रोजेक्ट्स के निर्माण के लिए दिया गया था, उसका इस्तेमाल वहां न होकर कहीं और किया गया.
ED के मुताबिक, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपने ‘स्पेशल पर्पस व्हीकल्स’ (SPV) का इस्तेमाल करके NHAI से मिले फंड को डायवर्ट किया. जांच में सामने आया है कि यह पैसा सीधे तौर पर नहीं, बल्कि घुमा-फिर कर निकाला गया. एजेंसी का आरोप है कि कंपनी ने मुंबई स्थित कुछ ‘शेल’ कंपनियों (ऐसी कंपनियां जो सिर्फ कागजों पर होती हैं) के साथ सब-कॉन्ट्रैक्टिंग के समझौते दिखाए. ये समझौते असल में ‘फर्जी’ या दिखावटी थे. इन सब-कॉन्ट्रैक्ट्स की आड़ में सार्वजनिक धन को पहले इन शेल कंपनियों में भेजा गया और फिर वहां से अवैध तरीके से विदेश ट्रांसफर कर दिया गया. यानी, जो पैसा भारत की सड़कों पर लगना था, वह संदिग्ध रास्तों से देश के बाहर चला गया.
यह जांच सिर्फ कंपनी तक सीमित नहीं रही है, बल्कि इसके तार शीर्ष प्रबंधन तक भी पहुंच रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में पूछताछ के लिए पिछले महीने ही अनिल अंबानी को समन भेजा था. हालांकि, वे अपना बयान दर्ज कराने के लिए एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए. फिलहाल, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ से इस जब्ती और ED के गंभीर आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान या सफाई नहीं आई है.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved