
आबकारी विभाग का 60 प्रतिशत स्टाफ आया चपेट में, फं्रटलाइन वर्कर भी नहीं माना
इंदौर। कोरोना काल और लॉकडाउन के दौर में भी सरकारों ने शराब दुकानों को बंद नहीं किया, ताकि रेवेन्यू का नुकसान न हो। इसका खामियाजा विभाग के स्टाफ को भुगतना पड़ा। दोनों लहर में इंदौर जिले में आबकारी विभाग का 60 प्रतिशत स्टाफ कोरोना की चपेट में आ चुका है और कई अभी भी अस्पताल में हैं, लेकिन सरकार ने इसके बावजूद उनको फ्रंटलाइन वर्कर नहीं माना और इसके चलते उनको पहले चरण में वैक्सीन भी नहीं लगी और बाकी के लाभ से भी वे वंचित रह गए।
हालांकि यह हाल केवल इंदौर का नहीं है, सभी जिलों में आबकारी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बड़ी संख्या में कोरोना की चपेट में आए हैं। इंदौर में यह आंकड़ा दोनों दौर में 70 से अधिक है, जबकि 125 के लगभग जिले का स्टाफ है। यह स्टाफ शराब दुकानों की व्यवस्था में लगा था। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानें खुली हैं, जहां शहर के लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। इसके चलते विभाग के अधिकारियों को आज भी वहां तैनात किया गया है। इसके चलते अब भी उन पर यह खतरा मंडरा रहा है। कल भी शिप्रा, मांगलिया और देहात क्षेत्र की शराब दुकानें चालू थीं और वहां लाइन लग रही थी, जो कोरोना को न्योता दे रही है, लेकिन सरकार शराब दुकानों को बंद नहीं कर रही है।
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