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लंबा खींच सकता है किसान आंदोलन, जालंधर-दिल्ली बैठक में तय होगी आगे की रणनीति

नई दिल्ली (New Delhi)। आंदोलनकारी किसानों (Agitating farmers) और केंद्र सरकार (Central government) के बीच विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) की ओर से पूरे देश में हुई बंदी के बाद शंभू सीमा (Shambhu border) पर हो रही बातचीत को लेकर किसान मोर्चा भड़क गया। किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच हो रही बातचीत को बेनतीजा बताते हुए मोर्चा ने ‘गुप्त वार्ता’ के नाम पर सरकार को आड़े हाथों लिया। यही नहीं किसान मोर्चा अब आंदोलनकारी किसानों पर आगे की रणनीति के लिए रविवार को एक बड़ी और महत्वपूर्ण बैठक करने जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा से ताल्लुक रखने वाले नेताओं का कहना है कि किसानों के हित में यह लड़ाई एक बार फिर लंबी खींचने जा रही है। लड़ाई की पूरी रूपरेखा जालंधर और उसके बाद नई दिल्ली में तय होगी।


संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को देशभर में गांव बंदी के साथ-साथ सभी औद्योगिक संस्थाओं और फेडरेशन समेत महिलाओं श्रमिकों और छात्रों के तमाम संगठनों के साथ मिलकर देशव्यापी बंदी की थी। किसान मोर्चा के प्रवक्ता टी. कृष्णप्रसाद कहते हैं कि केंद्र सरकार आमजन के मुद्दों के साथ किसानों के अहम मुद्दों पर ध्यान भटका रही है। वही वजह है कि संगठन को देशव्यापी बड़ा आंदोलन करना पड़ा। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक केंद्र सरकार अभी भी शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसानों के संघर्ष को गंभीरता से नहीं ले रही है। मोर्चा ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि आंदोलनकारी और देश को गुमराह करते हुए गुप्त वार्ता के लिए शंभू बॉर्डर पर मंत्रियों को भेजा जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता टी कृष्णप्रसाद कहते हैं कि केंद्र सरकार की गंभीरता बताती है कि वह किसानों के प्रति सहृदयशीलता से मंथन नहीं कर रही है।

संयुक्त किसान मोर्चा से ताल्लुक रखने वाले किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलनकारियो के पास मंत्रियों को भेज कर केंद्र सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि अगर बातचीत सकारात्मक और नेकनीयत से हो रही है, तो उसमें की गई चर्चाओं के बिंदुओं और प्रगति को गुप्त क्यों रखा जा रहा है। ऐसा करके केंद्र सरकार पूरे देश के किसानों को अंधेरे में रख रही है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता टी. कृष्ण प्रसाद कहते हैं कि एसकेएम ने 26 जनवरी 2021 को यह लड़ाई लड़नी शुरू की थी, जो न्याय मिलने तक जारी रहेगी। शंभू बॉर्डर पर लगातार किसान आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच बढ़ रहे टकराव पर किसान मोर्चा ने आगे की बड़ी रणनीतियां बनानी शुरू कर दी हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों के मुताबिक एसकेएम पंजाब इकाई की 18 फरवरी को जालंधर में बैठक होनी तय है। इसके बाद नई दिल्ली में एनसीसी और जनरल बॉडी की बैठकें होंगी, जिसमें एसकेएम की केंद्रीय समिति के साथ मिलकर आगे की रणनीति के मुताबिक अंतिम रूप दिया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा से संबंध रखने वाले किसान नेताओं का कहना है कि लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषियों को सजा के साथ एमएसपी समेत ऋण माफी और किसानों की आत्महत्या को समाप्त करने लिए उनका मोर्चा संकल्बबद्ध हैं। जब तक इस मामले केंद्र सरकार कोई बड़ा फैसला नहीं लेगी, तब तक किसानों का आंदोलन चलता रहेगा।

इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप है कि किसानों के मामले में केंद्र सरकार लगातार झूठ बोलती आ रही है। किसान मोर्चा के प्रवक्ता टी. कृष्णप्रसाद कहते हैं कि केंद्र सरकार ने दिसंबर 2021 में एमएसपी और अन्य मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने का वादा किया। सात महीने बाद केंद्र सरकार ने इन लोगों को लेकर एक समिति बनाई, जो खुले तौर पर एमएसपी देने का विरोध कर रहे थे और उन्होंने अपने एजेंडे में फसल विविधीकरण और शून्य बजट प्राकृतिक खेती को जोड़ा हुआ है। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि जिस तरीके की साजिश केंद्र सरकार की ओर से किसानों के लिए की जा रही है, वह आने वाले दिनों में एक बड़े आंदोलन के तौर पर सामने आएगी। फिलहाल आंदोलन को लेकर एक बड़ी रणनीति जालंधर और उसके बाद दिल्ली में आयोजित होने वाली महत्वपूर्ण बैठक में तय होगी।

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