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किसान की देशभक्ति पर शक न करे सरकार : दीपेन्द्र हुड्डा

रोहतक। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा किसान आन्दोलन से उत्पन्न गंभीर स्थिति पर चर्चा करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर बरसे और कहा कि सरकार बड़ा दिल दिखाए, किसानों की मांगें माने और तीनों कानूनों को वापस लेने के साथ ही झूठे मुकदमे भी वापस लिये जाएं, ताकि देशभक्त किसान के दिल में अविश्वास पैदा न हो। उन्होंने कहा कि आत्ममुग्ध सरकारें कभी आत्मनिर्भर भारत का निर्माण नहीं कर सकती हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों के ताबूत में सियासत की कीलें ठोकी जा रही हैं।

सरकार बहुमत के अहंकार में कह रही है कि लोग उसके साथ हैं जबकि सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। इसका प्रमाण है कि हरियाणा में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री अपने ही इलाकों में कार्यक्रम नहीं कर पा रहे। हरियाणा सरकार के चार साल बाकी हैं फिर भी उपचुनाव के बाद उपचुनाव में सरकार को हार का सामना करना पड़ रहा है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सभापति की इजाजत से किसान आन्दोलन में जान कुर्बान करने वाले 194 किसानों के नाम सदन के पटल पर रखे। किसान देश की राजधानी में राजगद्दी मांगने नहीं आये बल्कि ये कहने आये हैं कि हमें जो पहले से मिल रहा था उसे तीन कानूनों के माध्यम से मत छीनो। सांसद ने कहा कि सडक़ों पर बड़ी-बड़ी नुकीली कीलें जड़ दी गई, सीमेंट की मोटी-मोटी दीवारें बना दी गई, 15-15 लेयर की बैरेकेडिंग की गई। इंटरनेट, मेट्रो, सडक़ें, बिजली, पानी, यहाँ तक कि स्वच्छ भारत का नारा लगाने वाली सरकार ने शौचालय सुविधा तक बंद करा दी।


उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर ये कौन है जो प्रधानमंत्री और किसानों के बीच दूरी बढ़ा रहा है। दीपेन्द्र हुड्डा ने सदन में कहा कि आखिरी दौर की बातचीत में किसान को अपमानित करके सरकार बीच में ही चली गई, किसान 5 घंटे तक इंतजार करते रहे। इससे पहले, जब 25 नवंबर को किसान दिल्ली आ रहे थे तब हरियाणा की सीमा पर पहुँचते ही हरियाणा सरकार हमलावर हो गई। किसानों पर आंसू गैस के गोले बरसाये, ठंडे पानी की बौछारें मारी, लाठीचार्ज किया, जिन रास्तों से किसान चलकर दिल्ली आ रहे थे उन सडक़ों को खोदवा दिया। इन्टरनेट बैन, कंक्रीट की दीवारें, लोहे की कीलें, सरकार के पहरे सच को नहीं रोक सकते, इन सब के बाद भी सच बाहर आयेगा। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी की घटना पर उन्होंने कहा कि उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच हो, न्याय का तकाजा है कि दोषी बचे नहीं और निर्दोष फंसे नहीं। (एजेंसी, हि.स.)

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