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भावांतर योजना और भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन

October 15, 2025

  • प्रदेश का अन्नदाता गहरे आर्थिक संकट के चलते आत्महत्या को मजबूर
  • किसानों की मांगे पूरी नहीं हुई तो 27 अक्टूबर को भोपाल पहुंच मुख्यमंत्री का घेराव करेंगे किसान

इंदौर। किसानों (farmers) की समस्याओं के प्रति सरकार की बेरुखी के खिलाफ आज पूरे प्रदेश में संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) के आव्हान पर किसानों ने प्रदर्शन कर ज्ञापन दिए। उसी के तहत इंदौर में भी कलेक्टर कार्यालय पर विभिन्न किसान संगठनों से जुड़े किसानों ने प्रदर्शन कर प्रदेश और स्थानीय स्तर की मांगों का ज्ञापन सोपा। मुख्यमंत्री के नाम सोफे गए ज्ञापन में किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने किसानों की समस्याओं के प्रति बेरुखी कायम रखी तो 27 अक्टूबर को प्रदेश के कोने-कोने से हजारों किसान भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे।

आज के इस प्रदर्शन का नेतृत्व रामस्वरूप मंत्री ,बबलू जाधव ,अरुण चौहान ,शैलेंद्र पटेल, चंदन सिंह बड़वाया और सोनू शर्मा ने किया। प्रदर्शन में संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े संगठन किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा, भारतीय किसान मजदूर सेना, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन आदिवासी किसान सभा और किसान सभा अजय भवन से जुड़े किसानों ने भागीदारी की।

कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है किपिछले कुछ वर्षों से प्रदेश का अन्नदाता लगातार प्राकृतिक आपदाओं, बाज़ार में गिरते दामों, बीमा कंपनियों की मनमानी, और सरकारी योजनाओं की विफलताओं के चलते गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है। हाल ही में अतिवृष्टि और फसल खराबे के कारण कई किसानों को आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ा है, जो अत्यंत दुखद और चिंताजनक है। यह स्थिति उस राज्य में उत्पन्न हुई है जहाँ देश के कृषि मंत्री स्वयं सांसद हैं — यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।


दिए गए ज्ञापन में मांग की गई है कि भावांतर योजना की समाप्ति कर, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सीधी खरीदी सुनिश्चित की जाए।सभी फसलों की MSP पर खरीदी को अनिवार्य किया जाए तथा इससे कम मूल्य पर खरीद को दंडनीय अपराध घोषित कर कठोर कार्यवाही की जाए।

धान की MSP ₹3300 प्रति क्विंटल घोषित की जाए।
अतिवृष्टि क्षति का उचित सर्वे कर मुआवजा दिया जाए।सेटेलाइट सर्वे की बजाय पटवारी हलके को इकाई मानते हुए औसत उपज में आई कमी के आधार पर मुआवजा सुनिश्चित किया जाए। बीमा कंपनियों की अनियमितताओं पर नियंत्रण कर वास्तविक नुकसान की भरपाई की जाए। खाद संकट की पुनरावृत्ति रोकी जाए। मौसम पूर्व भंडारण एवं सभी किसानों को उनकी आवश्यकता अनुसार खाद उपलब्ध कराया जाए। नकली खाद एवं बीज पर कठोर कार्यवाही की जाए।

इनका व्यापार रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व आपूर्तिकर्ताओं पर सख्त कार्रवाई की जाए। किसी भी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण किसान की सहमति और ग्रामसभा की स्वीकृति से हो। पुनर्वास और उचित मुआवज़ा दिए बिना अधिग्रहण न किया जाए। कृषि कार्य हेतु नियमित और पर्याप्त बिजली दी जाए। किसानों को कम से कम 12 घंटे, दिन के समय बिजली उपलब्ध कराई जाए।

आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को समुचित मुआवज़ा और एक आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाए। मुक्त व्यापार समझौतों में कृषि को बाहर रखा जाए। किसानों को टैरिफ के प्रभाव से बचाने हेतु मूल्य अंतर की भरपाई की जाए। विशेषकर कपास उत्पादक किसानों को हुए घाटे की भरपाई की जाए। रबी फसलों के लिए घोषित MSP दरों की समीक्षा की जाए।

वर्तमान दरें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों से कम हैं, जिससे देश के किसानों को ₹3 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान होगा। भावांतर योजना को समाप्त कर सोयाबीन की खरीदी 8000 प्रति क्विंटल पर शुरू की जाए। ग्रीनफील्ड कॉरिडोर योजना को तत्काल निरस्त किया जाए।उपजाऊ भूमि का अधिग्रहण रोका जाए। अहिल्या पथ योजना से प्रभावित गाँवों में डायवर्शन पर लगी रोक हटाई जाए।

जंगली सुअर व घोड़ारोज द्वारा फसलों को हो रहे नुकसान की रोकथाम के लिए प्रभावी समाधान किया जाए। लक्ष्मीबाई नगर अनाज मंडी, इंदौर में वर्ष 2019 से लंबित ₹2.74 करोड़ की राशि का भुगतान तत्काल मंडी निधि से किया जाए। किसानों को नो-एंट्री जोन में ट्रैक्टर-ट्रॉली के प्रवेश की अनुमति दी जाए ताकि वे फसल मंडी तक ला सकें। वर्ष 2017–18 की बकाया भावांतर राशि किसानों के खातों में तत्काल जमा की जाए।
निरंजनपुर सब्ज़ी मंडी को उपमंडी घोषित किया जाए।

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से रामस्वरूप मत्री, रामस्वरूप मंत्री ,बबलू जाधव ,अरुण चौहान ,शैलेंद्र पटेल, चंदन सिंह बड़वाया , सोनू शर्मा, प्रमोद नामदेव, बहादुर सिंह, काशीराम नायक, हर्षद पटेल,रामप्रसाद पटेल, मुकेश सिसोदिया ,विनोद सिसोदिया, अरशद पटेल, सोहन सिंह ,अमित सिसोदिया ,पप्पू यादव शाहिद बड़ी संख्या में इंदौर समीर देपालपुर आदि तहसीलों के किसान शामिल थे।

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