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किसानों को मिलेगी ड्रोन के उपयोग की ट्रेनिंग… कम लागत में मिलेगा ज्यादा फायदा

July 09, 2022

  • किसानों को मिलेगी ट्रेनिंग, खेती के आधुनिक उपकरणों में से एक है कृषि ड्रोन

भोपाल। आधुनिक तकनीक का उपयोग अब खेतों में भी होने लगा है। ड्रोन तकनीक से खेतों में दवा का छिंड़काव और खाद डाली जाने लगी है। इसी तकनीक से किसानों को भी रूबरू कराया जा रहा है, जिससे वे भी इसका लाभ उठा सकें। कृषि ड्रोन तकनीक किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है। दुनियाभर में कृषि कार्यो के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ड्रोन का उपयोग बढ़ रहा है। सरकार कृषि क्षेत्र में तकनीकी के उपयोग को बढ़ावा दे रही है ताकि बेहतर उपज के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि हो सके। कृषि ड्रेन खेती के आधुनिक उपकरणों में से एक है, जिसके इस्तेमाल से किसानों को काफी मदद मिल सकती है। कृषि विज्ञान केन्द्र, दतिया के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. आरकेएस तोमर ने बताया कि दतिया जिले में इस मौसम में ड्रोन के उपयोग के परीक्षण आयोजित किए जाएंगे और अपेक्षित परिणाम प्राप्त होने पर किसानों को ड्रोन उपयोग के लिए प्रेरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ड्रोन एक मानव रहित विमान (यूएवी) है जो मूल रूप से उडऩे वाला रोबोट है। इसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है। सॉफ्टवेयर नियंत्रित सिस्टम के जरिए भी यह उड़ान भर सकता है। ड्रोन तकनीक लगातार विकसित हो रही है। आज की बात करें तो भारतीय सेना के अलावा मौसम निगरानी, भविष्यवाणी, यातायात निगरानी, राहत और बचाव कार्य, खेती, फोटोग्राफी आदि में ड्रोन का उपयोग हो रहा है। ड्रोन तकनीक जीपीएस और आनबोर्ड सेंस के साथ मिलकर काम करती है। आधुनिक ड्रोन डुअल ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) के साथ एकीकृत होते हैं। इसमें जीपीएस और ग्लोनास शामिल होते हैं। ये ड्रोन जीएनएसएस के साथ-साथ नान सेटेलाइट मोड में भी उड़ान भर सकते है।


रोपण का कार्य होता है आसान
बंजर या दुर्गम भूमि में बीजरोपण का कार्य दुश्कर, महंगा और समय को नष्ट करने वाला हो सकता है। कृषि ड्रोन, सेंसर तकनीक और इंटेलिजंट सिस्टम द्वारा इस रोपण को बहुत आसान बनाते है। रोपण प्रणाली से लैस ड्रोन सीधे मिट्टी में बीज को लगा सकते है। यह कार्य ड्रोन के द्वारा सीड पॉड्स को मिट्टी में सीधा फायरिंग करके किया जाता है। कुछ ड्रोन एक दिन में लगभग एक लाख तक बीज बो सकते है। पिछले कुछ वर्षो में टिड्डी दलों का प्रकोप बढ़ रहा है। टिड्डी दल फसलों, पेड़ों व अन्य प्रकार के पौधों को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं। ड्रोन से 15 मिनट में करीब 2.5 एकड़ में कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है। ऐसे में ड्रोन इस समस्या का हल हो सकता है।

ड्रोन के कई फायदे
खेती किसानी में ड्रोन के कई फायदे है। बेहतर फसल उत्पादन के लिए ड्रोन का उपयग किया जा सकता है। इससे सिंचाई योजना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, मिट्टी की गुणवत्ता की जानकारी, कीटनाशकों के छिड़काव आदि में मदद मिल सकती है। ड्रोन के उपयोग से किसानों को उनकी फसलों के बारे में नियमित रूप से सटीक जानकारी मिल सकती है। जिससे उन्हें निर्णय लेने में आसानी हो सकती है। साथ ही समय और संसाधन की बर्बादी को रोका जा सकता है। ड्रोन के उपयोग से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों, संक्रमित क्षेत्रों, लंबी फसलों और बिजली लाइनों के नीचे, दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों, वन क्षेत्रों एवं पेड़ पौधों, बगीचों में कीटनाशकों का छिड़काव कम समय में किया जा सकता है। ड्रोन द्वारा एकत्रित किए गए डाटा की मदद से समयाग्रस्त क्षेत्रों, संक्रमित अस्वस्थ फसलों, नमी के स्तर आदि पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। कृषि ड्रोन उर्वरक, पानी, बीज और कीटनाशकों जैसे सभी संसाधनों का बेहतर उपयोग करने में सक्षम बनाता है।

किसानों के लिए ड्रोन खरीदना आसान, 5 लाख तक सब्सिडी मिलेगी
हाल ही में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि सरकार किसानों को अधिक सुविधा प्रदान करने कृषि लागत घटाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए ड्रोन खरीदने में छूट दी गई है। पूर्वोत्तर राज्यों में अनूसूचित जाति, अनुसूचित जन, छोटे और सीमांत, महिला और किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए 5 लाख की सब्सिडी दी जा रही है। अन्य किसानों को 40 फीसदी या अधिकतम 4 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

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