
नई दिल्ली। देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई (Ex-CJI BR Gavai) ने सेवानिवृत्त (Retired) होने के बाद कई मुद्दों पर बेबाकी से बात रखी है। इनमें न सिर्फ कुछ राज्यों की बुलडोजर कार्रवाई को लेकर खुल कर बात की गई है, बल्कि संविधान (Constitution) पर हमले को लेकर उठ रही चर्चाओं तक पर जवाब दिया गया है। ऐसा ही एक इंटरव्यू सीजेआई ने दिया है, जिसमें उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए हैं।
रिटायर्ड जस्टिस गवई ने कहा कि वे नहीं मानते कि संविधान खतरे में है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि संविधान बदला ही नहीं जा सकता 1973 का जजमेंट से एकदम साफ है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1973 में केशवानंद भारती मामले में सुनवाई के दौरान फैसला दिया था कि संविधान के मूल ढांचे से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
जस्टिस (रि.) गवई ने इस मुद्दे पर कहा, “सरकार का न्यायपालिका में कोई हस्तक्षेप नहीं है। ये बात गलत है कि सरकार का न्यायपालिका में कोई हस्तक्षेप होता है। कॉलेजियम किसी के दबाव में काम नहीं करता है।
पूर्व सीजेआई से इंटरव्यू में जब सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर सवाल किया गया तो उन्होंने इस खतरे के मद्देनजर संसद को कानून बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल हो रहा है सभी को मिलकर इसके लिए काम करना पड़ेगा और संसद को कानून बनाना चाहिए जो इस खतरे को नियंत्रण में ला सके।
अदालतों में अलग-अलग मामलों पर सुनवाई करने वाले जजों को सोशल मीडिया पर ट्रोल किए जाने और उन्हें निशाना बनाए जाने की घटना पर भी रिटायर्ड जस्टिस ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जज को निजी तौर पर निशाना बनाना और उन्हें ट्रोल करना सही नहीं है। इस दौरान उन्होंने अपने से जुड़े एक मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान विष्णु के बारे में उनकी टिप्पणी को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया था, जो कि गलत था। गवई ने कहा कि उन्होंने भगवान विष्णु के बारे में ऐसा कुछ नहीं बोला, जैसा बताया गया।
पूर्व सीजेआई ने नक्सलवाद की समस्या पर कहा कि मुझे खुशी है कि आज नक्सलवाद खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज काफी इलाकों से नक्सलवाद का उन्मूलन हो रहा है। एक जमाने में महाराष्ट्र का गढ़चिरौली बहुत बड़ा केंद्र था। आज ये सब बहुत कम हो गया है।
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