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चीन से लेकर रूस तक कई देश हैं कोरोना वैक्सीन के करीब


नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी से दुनियाभर में 10 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी हैं और 3 करोड़ से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। ऐसे में सभी देशों को इससे निपटने के लिये वैक्सीन की जरूरत है। कई वैक्सीन पर काम चल रहा है और वैक्सीन तैयार होने के करीब पहुंच रही हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो पहली डोज वर्ष 2021 की शुरुआत में आ सकती है।  संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री मोदी के हालिया स्टेटमेंट से पता चलता है कि वैक्सीन का डेवलपमेंट जोरों से चल रहा है। इसके अलावा विश्व में अब तक दो वैक्सीन इस्तेमाल के लिये रजिस्टर किये जा चुके हैं और 9 वैक्सीन क्रिटिकल स्टेज में हैं।

ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका का भारत में ट्रायल
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से बनाई जा रही एस्ट्राजनेका के दुनिया भर के साथ ही भारत में भी तीसरे फेज का ट्रायल शुरू कर दिया गया है। ‘कोविशिल्ड’ नाम के इस वैक्सीन का मुंबई में तीन वॉलंटियर्स का केईएम अस्पताल ट्रायल शुरू किया गया। इसी सप्ताह से अगले बैच पर वैक्सीन ट्रायल होगा।

कोवाक्सिन का नहीं दिखा कोई साइड इफेक्ट
भारत बायोटेक, आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे के सहयोग से विकसित की जा रही कोवाक्सिन लगातार प्रोग्रेस कर रही है। वैक्सीन के फेज-2 ट्रायल को मॉनिटर करने वाले चीफ इंवेस्टीगेटर के अनुसार, ये कैंडिडेट्स मजबूत इम्यूनोजेनेसिटी रिस्पॉन्स देने में सक्षम हैं। इस वैक्सीन कोई साइड इफैक्ट भी नहीं दिखा है। सब कुछ ठीक रहा तो इसका तीसरा फेज जल्द ही शुरू होगा।

इसके अलावा भारत का सीरम इंस्टीट्यूट, कोविशिल्ड के साथ-साथ यूएस-बेस्ड नोवाक्सम की वैक्सीन टेस्टिंग से जुड़ा है। इसके प्रारंभिक क्लीनिकल रिजल्ट काफी अच्छे आये हैं। रिपोर्टों के अनुसार, वैक्सीन निर्माता अमेरिकी कंपनी आने वाले वर्ष में लाखों डोज बनायेगा जिसमें से भारत को 50 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा।

चीन ने लगाया 1,00,000 लोगों को वैक्सीन
चीन ने अपने देश में बने वैक्सीन को कम से कम एक लाख लोगों को लगाया है। चीन में पांच वैक्सीन पर काम किया जा रहा है। दो वैक्सीन फेज-2 और 3 के ट्रायल में हैं जिन्हें जून के महीने में मिलट्री से मंजूर मिल चुकी है।

रूस का स्पुतनिक V से मजबूत इम्युनिटी का दावा
रूस का स्पुतनिक V की नई रिपोर्ट बताती हैं कि यह पहले शॉट में पर्याप्त इम्यूनिटी डवलप करता है। मॉस्को के गामलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने ने कहा कि वैक्सीन सेफ होने के पर्याप्त सैंपल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिये एक एक्स्ट्रा डोज की ही जरूरत होगी।

 

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