
नई दिल्ली। पिछले एक साल में यानी स्वतंत्रता दिवस 2024 से 2025 तक की अवधि में, वैश्विक और घरेलू बाजारों (Global and Domestic markets) में अनिश्चितता (Uncertainty) के बीच सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं (Precious metals Gold and Silver) ने भारतीय शेयर बाजार को काफी पीछे छोड़ दिया। इस दौरान सोने की कीमतों में 42.76% और चांदी में 43% की शानदार वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, निफ्टी में केवल 1.97% और सेंसेक्स में 1.81% की मामूली बढ़ोतरी हुई।
सोने और चांदी का शानदार प्रदर्शन
15 अगस्त 2024 को सोना 70,136 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी 80,061 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास कारोबार कर रही थी। एक साल बाद, 15 अगस्त 2025 तक सोने ने 42.76% और चांदी ने 43% की छलांग लगाई है। वर्तमान में सोना 1,01,020 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच गया है।
एक साल के दौरान इसकी कीमतों में लगभग 31 हजार रुपये की वृद्धि हुई है। वहीं, चांदी के दाम 1,12,000 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। इसके दाम बीते 12 महीने में करीब 32 हजार रुपये चढ़े हैं।
सोने की चमक और तेज
सोना एक सुरक्षित निवेश परिसंपत्ति के रूप में अपनी मजबूती बनाए हुए है और 2025 की पहली छमाही में इस बहुमूल्य धातु ने निवेशकों को लगभग 27 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। एक जनवरी को 24 कैरेट सोने का भाव 77,723 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास था, जो 30 जून तक बढ़कर 97,583 रुपये तक पहुंच गया।
इस दौरान सोने में लगभग 20 हजार रुपये की बढ़ोतरी हुई और इसने करीब 26 फीसदी का मुनाफा कराया। वहीं, जून के बाद से इसकी कीमतों में तेजी बनी हुई है और बीते डेढ़ महीने में दाम 3500 रुपये तक उछल चुके हैं। इस तरह बीते साढ़े सात महीने में सोना 23,500 रुपये चढ़ चुका है। विशेषज्ञों के अनुसार, दूसरी छमाही में सोना 4-8 प्रतिशत और बढ़ सकता है।
12 माह में कितना रिटर्न
सोना +42.76%
चांदी +43%
निफ्टी +1.97%
सेंसेक्स +1.81%
ट्रंप के टैरिफ का साफ असर
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पिछले साल नवंबर में टैरिफ लगाने की घोषणा करने के बाद से सोने की कीमतों में लगातार उछाल आ रहा है। आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 से सोना लगभग 30 प्रतिशत महंगा हुआ है। वहीं, दो अप्रैल को टैरिफ लगाने के बाद से इसकी कीमतों में करीब सात फीसदी का उछाल आया है।
शेयर बाजार पर दबाव
दूसरी ओर, भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन इस अवधि में कमजोर रहा। निफ्टी और सेंसेक्स में क्रमशः 1.97% और 1.81% की मामूली वृद्धि हुई। ट्रंप के शुल्क से वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ी है, जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ा। रुपये की कमजोरी और विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली ने भी बाजार को सीधे तौर पर प्रभावित किया।
सबसे ज्यादा बिकवाली इस साल देखने को मिली है और एफपीआई ने भारतीय बाजारों से कुल 1.13 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। ट्रंप द्वारा 30 जुलाई को भारत पर टैरिफ लगाने के बाद से निकासी तेज हुई है और अगस्त में ही अब तक 17,924 करोड़ रुपये निकाल चुके हैं।
सोने-चांदी में तेजी के कारण
1. सुरक्षित निवेश और औद्योगिक मांग से सोने और चांदी के प्रति आकर्षण बढ़ा
2. मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव के रूप में सोने की मांग बढ़ी, खासकर उभरते बाजारों में
3. केंद्रीय बैंकों ने अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए सोने की खरीदारी बढ़ाई
4. अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद 5. सौर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में चांदी की मांग में भारी वृद्धि
बाजार की चुनौतिया बढ़ीं
1. वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ने से निवेशकों के बीच संशय
2. रुपये की कमजोरी से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा खींच रहे
3. भारत पर ट्रंप के टैरिफ को लेकर अनिश्चितता बरकरार, निवेशक सतर्क
4. वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका से वैश्विक बाजारों के प्रदर्शन पर भी असर
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