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पंचायत चुनाव के दौरान केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग को लेकर उच्च न्यायालय जाएंगे सरकारी कर्मचारी


कोलकाता । महंगाई भत्ते में वृद्धि और बकाया (Increase in DA and arrears) की मांग को लेकर आंदोलन की अगुवाई कर रहा (Leading the Movement) राज्य सरकार के कर्मचारियों का संयुक्त मंच (United Forum of State Government Employees) त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान (During the Three-tier Panchayat Elections) केंद्रीय बलों की तैनाती (Deployment of Central Forces) की मांग को लेकर (On Demanding) उच्च न्यायालय जाएगा (Will Go to the High Court) ।

संयुक्त मंच के संयोजक भास्कर घोष के अनुसार, चुनाव से संबंधित कर्तव्यों से जुड़े राज्य सरकार के कर्मचारियों की सुरक्षा की उनकी आशंका शनिवार को सच हो गई, क्योंकि दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर में खंड विकास कार्यालय में एक सरकारी कर्मचारी को इंडिया सेक्युलर फ्रंट के प्रत्याशी को नामांकन पत्र की अनुमति देने के लिए बुरी तरह पीटा गया। घोष ने कहा,इस उदाहरण का हवाला देते हुए हम चुनावों में केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

संयुक्त फोरम ने पहले ही घोषणा कर दी है कि जब तक केंद्रीय सशस्त्र बलों को तैनात नहीं किया जाता है, तब तक वे चुनाव संबंधी कर्तव्यों का बहिष्कार करेंगे। पिछले हफ्ते, उन्होंने पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग के कार्यालय में एक ज्ञापन भी सौंपा। संयुक्त मंच की मांग का समर्थन करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के लोकसभा सदस्य दिलीप घोष ने कहा कि मांग जायज है, क्योंकि राज्य सरकार को छोड़कर सभी पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, जैसा भी है, राज्य सरकार के कर्मचारियों को बढ़े हुए महंगाई भत्ते के उनके वैध अधिकार से वंचित कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में, वे निश्चित रूप से हिंसा और रक्तपात के पिछले इतिहास को देखते हुए बिना केंद्रीय बलों के सुरक्षा कवर के चुनाव ड्यूटी में शामिल होकर अपनी जान जोखिम में नहीं डाल सकते हैं।

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डॉ. संतनु सेन ने कहा,जब राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष और मतदान का आश्वासन दे रहे हैं, तो राज्य सरकार के कर्मचारियों को उनके आश्वासनों पर भरोसा होना चाहिए। वे अनावश्यक रूप से इस मामले को एक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

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