
नई दिल्ली. केंद्र सरकार एक बार फिर से देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है. रिपोर्ट की मानें तो विनिवेश के पहले चरण में लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन 3% स्टेक सेल कर सकती है. इसमें कहा गया कि मोतीलाल ओसवाल (Motilal Oswal) और आईडीबीआई कैपिटल (IDBI Capital) इस ऑफर फॉर सेल के लिए बैंकर की भूमिका निभा सकते हैं.
2.5 से 3 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी
बिजनेस टुडे पर छपी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि केंद्र सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में अपने नियोजित विनिवेश को बढ़ावा देने के लिए अगले दो हफ्तों में रोड शो शुरू करने की तैयारी कर रही है. पहले चरण में, केंद्र इस एलआईसी अपनी 2.5% से 3% हिस्सेदारी तक बेचने पर विचार कर रही है. हालांकि, सरकार द्वारा बेची जाने वाली स्टेकहोल्डिंग के बारे में स्पष्ट आंकड़ा और ओएफएस की कीमत रोडशो के पूरा होने के बाद तय होने की उम्मीद है.
ये है सरकार का विनिवेश टारगेट
फिलहाल, सरकार के पास एलआईसी में 96.5% हिस्सेदारी है और मार्केट रेग्युलेटर SEBI ने बीमा कंपनी को 16 मई 2027 तक अपनी सार्वजनिक हिस्सेदारी 3.5% से बढ़ाकर 10% करने का निर्देश दिया है. वहीं FY26 के लिए केंद्र के व्यापक विनिवेश लक्ष्य की बात करें, तो ये 47,000 करोड़ रुपये है और LIC की हिस्सेदारी बिक्री इस लक्ष्य में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है. रिपोर्ट में अनुमान जाहिर करते हुए बताया गया है कि सरकार विनिवेश के इस पहले चरण से 14,000-17,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है.
गिरावट के साथ बंद हुआ बाजार
सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन शेयर बाजार (Stock Market) में तेजी के बावजूद एलआईसी का शेयर तेज गिरावट के साथ बंद हुआ. LIC Stock 916 रुपये पर ओपन हुआ था और फिर शुरुआती कारोबार के दौरान 920 रुपये तक उछला, लेकिन इसके बाद शेयर में तेज हुई गिरावट बाजार बंद होने तक जारी रही और ये बीमा स्टॉक 3.24 फीसदी की गिरावट के साथ 886.85 रुपये पर क्लोज हुआ. शेयर में गिरावट के बीच कंपनी का मार्केट कैप (LIC Market Cap) कम होकर 5.59 लाख करोड़ रुपये रह गया.
IPO के जरिए बेची थी इतनी हिस्सेदारी
इससे पहले भी सरकार एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी बेच चुकी है. साल 2022 में मई महीने में सरकार ने LIC में अपनी कुल इक्विटी का 2.5 फीसदी हिस्सा बेच दिया था और ये एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) 4 मई 2022 को सब्सक्रिप्शन के लिए ओपन होने के बाद 9 मई को बंद हुआ था. इस IPO को करीब तीन गुना सब्सक्रिप्शन हासिल हुआ था और इसके जरिए सरकार को 20,557 करोड़ रुपये मिले थे.
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