
इंदौर, पंकज भारती। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर प्रदेश सराकार ने उद्योगपतियों के लिए विभिन्न प्रकार की छूट व सहुलियतों की झड़ी लगा दी है लेकिन वहीं प्रदेश के उद्योगों में काम करने वाले श्रमिक दुर्दशा के शिकार हो रहे हैं। यह विडंबना है कि प्रदेष में 10 साल बाद डेली वेजेस वर्कस के न्यूनतम वेतन में वृद्धि किए जाने के बावजूद श्रमिकों को बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिल पा रहा है। इसका कारण श्रम विभाग द्वारा इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी नहीं किया जाना है।
मध्यप्रदेश में एक अप्रैल 2024 से औद्योगिक और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 25 फीसदी बढ़ा दी गई थी। 2014 के बाद प्रदेश में पहली बार मजदूरों की मजदूरी का पुनरीक्षण किया गया था। 4 मार्च 2024 को प्रदेश सरकार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया था और 13 मार्च 2024 को श्रमायुक्त कार्यालय ने वेतन दरों में वृद्धि की अधिसूचना जारी कर दी थी। लोकसभा चुनाव से पहले उठाए गए मप्र सरकार के इस कदम को मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा था लेकिन मजदूरों के हित में उठाए गए इस कदम पर प्रदेश सरकार अपने ही उद्योग जगत से घिर गई। न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के लिए तय प्रक्रिया का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए पीथमपुर औद्योगिक संगठन और मप्र टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने इसे मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में चुनौती दी।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 8 मई 2024 को प्रदेष सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन में की गई बढ़ोतरी की अधिसूचना पर स्टे लगा दिया जो 21 मई 2024 को हुई अगली सुनवाई में भी जारी रखा गया। इस पर श्रमायुक्त कार्यालय द्वारा 24 मई 2024 को एक नोटिफिकेशन जारी कर न्यूनतम वेतन में की गई बढ़ोतरी को वापस ले लिया गया। श्रम संगठनों का आरोप है कि उद्योगपतियों के हित में 72 घंटे के दौरान ही उक्त नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। वहीं मामले की आगे की सुनवाई के दौरान 3 दिसंबर 2024 को मप्र उच्च न्यायालय ने आदेश जारी कर 8 मई 2024 और 21 मई 2024 के स्थगन आदेश को समाप्त कर दिया। जिससे न्यूनतम वेतन वृद्धि पुन: लागू हो गई लेकिन श्रम विभाग द्वारा इस संबंध में आज तक नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है। इसके चलते प्रदेष के 50 लाख से ज्यादा मजदूर वर्ग को बढ़े हुए वेतन का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
25 फीसदी बढ़ा दी थी मजदूरी
मप्र में एक अप्रैल 2024 से 25 फीसदी बढ़ोतरी के साथ नई न्यूनतम वेतन दरें प्रभावी होना थी। इसके तहत अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 9 हजार 575 रुपए प्रतिमाह होने की बात कही गई थी। इसी तरह अर्द्धकुशल श्रमिकों को 10 हजार 571 रुपए और कुशल श्रमिकों को 12 हजार 294 रुपए न्यूनतम वेतन प्रदान करने का कहा गया था। वहीं उच्च कुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 13 हजार 919 रुपए प्रतिमाह कर दिया गया था। लेकिन श्रमिकों को यह बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिल रहा है। प्रदेश में 10 साल बाद डेली वेजेस वर्कर्स का न्यूनतम वेतन बढ़ाया गया था लेकिन उसका लाभ अब तक श्रमिकों को नहीं मिला है। जब उद्योगपतियों के हित में स्टे आया तो मात्र 72 घंटे में आदेश जारी कर वेतन वृद्धि को रोक दिया गया। वहीं जब न्यायालय ने श्रमिकों के हित में आदेष देते हुए वेतन बढ़ोतरी पर लगाए स्टे को निरस्त कर दिया तो श्रम विभाग ने कोई तत्परता नहीं दिखाई। तीन माह बाद भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है जिसके चलते श्रमिकों को बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिल रहा है। इस संबंध में विभाग के पत्र भी लिखा गया है और ज्ञापन भी दिया गया है।
– भगवानदास गोंडाने, पूर्व अध्यक्ष, मप्र श्रम कल्याण मंडल
न्यायालय का आदेश रिजर्व है। हम अंतिम निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। कोर्ट का अंतिम निर्णय आ जाने पर उससे संबंधित नोटिफिकेशन तुरंत जारी कर दिया जाएगा।
रजनी सिंह, श्रम आयुक्त, मप्र शासन
अभी सिर्फ स्टे हटा है, केस चल रहा है। विभाग इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर सकता है लेकिन ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के चलते प्रदेश सरकार इससे बच रही है। वैसे भी हम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगा चुके हैं।
गौतम कोठारी, अध्यक्ष, पीथमपुर औद्योगिक संगठन
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