नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में एक हैकर समूह ने भारती एयरटेल के नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे सैन्यकर्मी का डेटा कथित तौर पर लीक कर दिया है। हालांकि, कंपनी ने अपनी प्रणाली में किसी तरह की सेंध से इनकार किया है। इस समूह का नाम रेड रैबिट टीम है। समूह ने कुछ भारतीय वेबसाइट को हैक कर डेटा को उन पोर्टल के वेब पेज पर डाला है। हैकरों ने साइबर सुरक्षा शोधकर्ता राजशेखर राजहरिया के एक ट्वीट के जवाब में इन वेब पेज के कुछ लिंक साझा किए हैं और मीडिया संगठनों को इसे टैग किया है।
भारतीय सेना का नहीं मिला जवाब : इस बारे भारतीय सेना को भेजे गए सवाल का जवाब नहीं मिला है। हालांकि, सेना के एक अधिकारी ने कहा, ”हमें इस तरह की सूचना की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ निहित स्वार्थी तत्वों ने गलत मंशा से ऐसा किया है। इस बारे में संपर्क करने पर भारती एयरटेल के प्रवक्ता ने अपने सर्वर में किसी तरह की सेंध से इनकार किया।
Another Big Data Breach? A Hacker Group alleged uploaded “shell” in @airtelindia Server. Now selling all India Airtel subscribers data including Aadhaar Number. Posted 2.5 Million as sample data. (in Jan 2021)#InfoSec #DataLeak #GDPR #databreaches #dataprotection #DataPrivacyDay pic.twitter.com/uxWopfKU0M
— Rajshekhar Rajaharia (@rajaharia) February 2, 2021
जांच और उचित कार्रवाई की जरूरत : प्रवक्ता ने कहा, ”हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि एयरटेल की प्रणाली में कोई सेंध नहीं लगी है, जैसा कि इस समूह ने दावा किया है। नियामकीय जरूरत के हिसाब से एयरटेल के बाहर के कई अंशधारकों की डेटा तक पहुंच होती है। हमने संबंधित अधिकारियों को इस मामले की जानकारी दे दी है। हमने उनसे इस मामले की जांच करने और उचित कार्रवाई करने को कहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि यह समूह पिछले 15 माह से हमारी टीमों के संपर्क में है और लगातार विरोधाभासी दावे कर रहा है। समूह एक क्षेत्र से गलत डेटा पोस्ट कर रहा है। हैकर द्वारा शेयर किए गए लिंक पर ग्राहकों के नाम, मोबाइल नंबर और पते के आधार पर पहुंचा जा सकता था। लेकिन कुछ समय बाद इसने काम करना बंद कर दिया। रेड रैबिट टीम ने पीटीआई-भाषा को भेजे संदेश में दावा किया कि उसकी अखिल भारतीय स्तर पर भारती एयरटेल के डेटा तक पहुंच है और जल्द ही वह कुछ और डेटा लीक करेगा। राजहरिया ने कहा कि हैकर भारती एयरटेल के अखिल भारतीय डेटा तक पहुंच के बारे में कोई विश्वसनीय प्रमाण देने में विफल रहे हैं।
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