
इंदौर। सारे अनुमानों को धता बताते हुए कल भाजपा के संगठन ने आखिरकार पुष्यमित्र भार्गव (Pushyamitr Bhargava) को महापौर के पद पर जीत दिलवा दी, लेकिन पांच नंबर विधानसभा उन्हें झटका दे गई। जिस विधानसभा से महेन्द्र हार्डिया (Mahendra Hardia) पिछले विधानसभा चुनाव में 1100 वोट से जीते थे, वहां भार्गव 5 हजार 651 वोटों से हार गए। शुक्ला ने दावा किया था कि वे 1, 3 और 5 में जोरदार बढ़त बनाएंगे, लेकिन हुआ उलटा ही।
1 नंबर विधानसभा से भार्गव को 15 हजार 702 वोटों की बढ़त मिली, यानी शुक्ला अपनी ही विधानसभा (Assembly) में हार गए। इसका मलाल भी शुक्ला के चेहरे पर नजर आया। उन्होंने मीडिया के सामने कह डाला कि वे अलगे साल विधानसभा चुनाव से पहले अपने ही क्षेत्र की समीक्षा करेंगे। 2 नंबर से भार्गव को 35 हजार 999 वोटों की तो चार नंबर से 40488 वोटों की बढ़त मिली है। ये बढ़त सबसे ज्यादा रही। 2 नंबर में विधायक रमेश मेंदोला और 4 नंबर में मालिनी गौड़ ने एकलव्यसिंह गौड़ को मैदान में तैनात किया था। 5 नंबर में खुद विधायक महेंद्र हार्डिया ने चुनाव की कमान संभाली थी, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में 1100 वोट से जीतने वाले बाबा ज्यादा कुछ कर नहीं पाए और मुस्लिम वार्डों के कारण यहां से पुष्यमित्र भार्गव को 5651 वोटों का गड््ढा मिला। भार्गव को सबसे छोटी विधानसभा होने के बावजूद राऊ में 30877 वोटों का फायदा हुआ तो देपालपुर और सांवेर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले वार्डों में क्रमश: 6401 और 5304 वोटों की बढ़त मिली।
वार्ड क्रमांक 54 का मुकाबला बागी के उतरने के बाद रोचक हो गया था और पूरे शहर की निगाह इस पर थी, क्योंकि यहां से युवा मोर्चा के महेश बसवाल को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था। बसवाल को बाहरी बताकर उनका विरोध भी खूब हुआ और कहा जाने लगा कि अन्हें अभिमन्यु की तरफ वार्ड 54 का चक्रव्यूह भेदने के लिए भेज दिया गया है। वे बाहर निकल पाएंगे या नहीं यह सवाल खड़ा हुआ था, लेकिन उन्होंने कांग्रेस के राजेंद्र गोयल को 1152 वोटों से हरा दिया।
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