
पटना: बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन की करारी हार के बाद अब विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision) का मुद्दा देशभर में सियासी हथियार बन गया है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एसआईआर को ‘वोट चोरी का खेल’ बताकर बीजेपी और चुनाव आयोग पर निशाना साधा है, लेकिन राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इसे ‘बिहार की गलती’ की याद दिलाते हुए अखिलेश को कड़ा संदेश दिया.बता दें कि कुशवाहा ने अखिलेश के बयान पर तंज कसा. उन्होंने कहा, वे बिहार में एसआईआर को लेकर बहुत क्रांति कर रहे थे, लेकिन प्रदेश की जनता ने उन्हें बता दिया कि यह कोई मुद्दा नहीं है.
बता दें कि अखिलेश यादव ने हाल ही में लखनऊ प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि SIR के बहाने बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर विपक्ष के 50,000 वोट प्रति विधानसभा क्षेत्र काट रहे हैं. उन्होंने BLOs पर दबाव का हवाला देते हुए कहा, चुनाव आयोग और बीजेपी दोनों मिले हुए हैं, वोट डालने का अधिकार छीना जा रहा है. कुशवाहा ने इसे खारिज करते हुए कहा, SIR कोई मुद्दा ही नहीं है, इसे मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. भगवान इनको सद्बुद्धि दें, इससे कुछ लाभ नहीं होगा.
दरअसल, सितंबर 2025 में बिहार में SIR के बाद महागठबंधन को सिर्फ 35 सीटें मिलीं, जबकि एनडीए ने 202 हासिल कर रिकॉर्ड बनाया. अखिलेश यादव ने खुद ट्वीट किया, बिहार में SIR का खेल अब यूपी, बंगाल में नहीं चलेगा. लेकिन कुशवाहा ने याद दिलाया कि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की ‘क्रांति’ के बावजूद जनता ने विकास को चुना. उन्होंने कहा, बिहार ने जातिवाद और भाई-भतीजावाद का अंत कर दिया, अब विकास की राह पर चलेगा. अखिलेश सैफई लौटने की तैयारी करें. यह सीधा यूपी चुनाव पर इशारा है, जहां बीजेपी-NDA बिहार मॉडल दोहराने का दावा कर रही है.
इधर, अखिलेश पर कुशवाहा का हमला लगता है कि बिहार से सबक ले लिया है. हाल ही में यूपी में चल रहे SIR अभियान के बीच अखिलेश ने खुद फॉर्म भरकर वीडियो शेयर किया. उन्होंने कहा, सभी सच्चे वोटरों को शामिल करें, कोई नाम न कटे. यह कदम रणनीतिक लगता है. बिहार में SIR विरोध के कारण वोटरों का एक हिस्सा नाराज हुआ था, अब यूपी में पार्टी कार्यकर्ताओं को अलर्ट रहने को कह रहे हैं. जानकारों का मानना है कि अखिलेश राहुल गांधी के SIR मुद्दे से दूरी बना रहे हैं. बता दें कि राहुल ने इसे ‘संविधान पर हमला’ बताया था, लेकिन अखिलेश अब कह रहे हैं SIR का फायदा उठाकर वोट बचाओ. फिर भी, गठबंधन की मजबूती के लिए वे कभी-कभी मुद्दा उठाते हैं.
राजनीति के जानकार कहते हैं, कुशवाहा का तंज अखिलेश को चेतावनी है- बिहार की गलती यूपी में न दोहराओ. SIR को हथियार बनाने से वोटर उल्टा पड़ सकता है. दूसरी ओर बीजेपी भी एसआईआर के मुद्दे पर अखिलेश यादव की दुविधा देखकर तंज कस रही है. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी कहा, अखिलेश, राहुल और ममता हार मान चुके हैं. SIR पारदर्शिता का काम है और इसे साजिश बताना हास्यास्पद. बिहार में SIR से 60 लाख नाम कटने का दावा विपक्ष ने किया था, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे खारिज कर दिया.
बहरहाल, एसआईआर यह विवाद 2027 यूपी चुनावों की जमीन तैयार कर रहा है. अखिलेश यादव की PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) रणनीति SIR के बहाने सवाल उठाए रखने की रणनीति है, शायद इस बहाने उनका वोट बैंक मजबूत हो सकता है, लेकिन बिहार चुनाव के परिणाम और कुशवाहा की चेतावनी साफ है -जनता मुद्दे नहीं, काम देखती है. बिहार की हार से सीखते हुए अखिलेश अब संतुलन की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन गठबंधन में तकरार बढ़ सकती है.
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