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SC में सुनवाई, 370 मामले पर सुनवाई के दौरान सीजेआई की टिप्पणी

August 29, 2023

नई दिल्ली (New Delhi)। अनुच्छेद-370 (Article-370) निरस्त करने के खिलाफ चल रही कानूनी बहस के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 35ए (Article 35A) लागू किए जाने से वस्तुतः मौलिक अधिकार छीने गए। इस अनुच्छेद ने राज्य सरकार के तहत रोजगार, अचल संपत्तियों के अधिग्रहण और राज्य में बसने का अधिकार सिर्फ स्थायी निवासियों तक सीमित कर दिया था।

पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने चल रही सुनवाई के दौरान सोमवार को सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 1954 का आदेश देखें। इसने भारतीय संविधान के संपूर्ण भाग तीन (मौलिक अधिकार) को लागू किया है और इसके जरिये अनुच्छेद-16 व 19 जम्मू-कश्मीर पर लागू हुआ। बाद में अनुच्छेद 35ए लाया गया, जिसने राज्य सरकार के तहत रोजगार, अचल संपत्तियों के अधिग्रहण और राज्य में बसने जैसे मौलिक अधिकारों को अपवाद बना दिया। इसलिए जहां अनुच्छेद 16(1) सुरक्षित रहा, वहीं ये तीन मौलिक अधिकार और इनकी न्यायिक समीक्षा का अधिकार अनुच्छेद 35ए ने छीन लिया। इस मामले में सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी।



सीजेआई ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, वह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल से यह पता लगाएं कि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक जहूर अहमद भट को अनुच्छेद-370 मामले में संविधान पीठ के समक्ष बहस करने के बाद निलंबित क्यों किया गया? अगर यह अदालत में उपस्थिति के कारण है, तो यह प्रतिशोध हो सकता है। स्वतंत्रता का क्या होगा?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अनुच्छेद 370 खत्म करने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा, जम्मू-कश्मीर पर अब पूरा संविधान लागू होता है। यहां के वासियों को देश के उनके बाकी भाइयों व बहनों के बराबरी पर लाया गया है। 35ए जाने के बाद लोगों को मौलिक अधिकार मिल गए। यह भी संभव हुआ कि सभी कल्याणकारी कानून वहां लागू हों। अब 35ए नहीं है, तो निवेश आ रहा है। केंद्र के साथ पुलिसिंग, पर्यटन शुरू हो गया है। पहले बड़े उद्योग नहीं थे, छोटे उद्योग थे, कुटीर उद्योग थे। मेहता ने यह भी कहा, विधानसभा की अनुपस्थिति में संविधान सभा शब्द का प्रयोग पर्यायवाची रूप में किया जाता था, क्योंकि दोनों जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में सह-समान अंग हैं।

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने पीठ से कहा, अनुच्छेद 35ए के माध्यम से स्थायी निवासियों के संबंध में एक अलग खंड जोड़ा गया था। इसके तहत स्थायी निवासियों की जो परिभाषा बनाई, उसके दायरे में नहीं आने वालों को सभी मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि अब तक, लोगों को विश्वास था कि अनुच्छेद-370 प्रगति में बाधा नहीं है, उन्हें अधिकारों से वंचित नहीं किया गया था। बताया गया कि वे विशेष हैं और इसके लिए उन्हें लड़ना चाहिए।

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