img-fluid

कोरोना की तीसरी लहर से कैसे रखें बच्चों को सुरक्षित? बरते ये सावधानी

August 26, 2021

कोरोना की दूसर लहर में कमी के साथ संभावित तीसरी लहर की चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञ 1918 के स्पेनिश फ्लू से सबक ले रहे हैं। स्पेनिश फ्लू तीन लहरों में आया था, जिसमें अनुमान के मुताबिक 50 करोड़ लोग संक्रमित हुए और 5 करोड़ की मौत। दूसरी लहर की घटना ने दिखाया कि वायरस से मुकाबला करते हुए हम संतुष्ट नहीं हो सकते। कोविड-19 के मामलों का दोबारा उदय और बार-बार म्यूटेशन का मतलब है कि स्वास्थ्य अधिकारियों को जरूर अलर्ट और तैयार रहना चाहिए।

तीसरी लहर की संभावना बच्चों के संक्रमित होने की भी चिंता बढ़ा दी है। ये आशंका तथ्य के आधार पर आधारित है कि पहली लहर के दौरान बुजुर्गों में ज्यादा संख्या देखी गई थी, जबकि दूसरी लहर ने युवाओं को अधिक प्रभावित किया। माना जाता है कि तीसरी लहर में कम उम्र के बच्चों को निशाना बनाने का वही पैटर्न रहेगा। सच्चाई ये है कि पहली और दूसरी दोनों लहर के दौरान बच्चों की भी कुछ संक्रमित हुई थी। उसके अलावा, कोविड-19 से उबरने के बाद भी दिक्कतों का मामला सामने आ रहा है।

हालांकि, भारत में बच्चों के बीच संक्रमण पर सटीक डेटा हमारे पास नहीं है, मगर बच्चों का अस्पताल में भर्ती होने का मामला व्यस्कों के मुकाबले बहुत कम है। इस साल के शुरू में इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के तीसरे राष्ट्रीय सीरो सर्वेक्षण के मुताबिक, करीब 25 फीसद भारतीयों में एंटीबॉडीज का पता चला है। इसका मतलब हुआ कि भारत में हर चौथा शख्स वायरस की चपेट में रह चुका है।



उसके बाद से टीकाकरण अभियान ने 18 साल से अधिक आबादी में इम्यूनिटी लेवल बढ़ाने में मदद की है। ये बच्चों में तुलनात्मक मामलों की बढ़ती संख्या भी स्पष्ट कर सकता है। आसान शब्दों में जब से अभियान में 18 साल से ऊपर के लोगों को लक्ष्य बनाया गया है, तब से ये बच्चे ही हैं जो पीछे छूट सकते हैं और अधिक कमजोर हो सकते हैं।

कोविड-19 से उबरने के बाद की जटिलता-
बाल चिकित्सा कोविड देखभाल की सबसे बड़ी चिंता कोविड के बाद की दिक्कतों की संभावना जैसे ‘मल्टी-सिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम’ है। ये एक ऐसी स्थिति है जब दिमाग, लंग, दिल, आंख और स्किन समेत शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में सूजन आ जाती है। हालांकि, मल्टी-सिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम का सटीक कारण अज्ञात है, मगर लक्षण आम तौर से उन बच्चों में जाहिर होते हैं जो पूर्व में कोरोना संक्रमित रह चुके हैं या वायरस वाले किसी शख्स के साथ संपर्क में थे। ये गंभीर स्थिति है और घातक भी हो सकती है।

लक्षणों में बुखार, चकत्ता, डायरिया, उल्टी, गर्दन दर्द और सुस्ती शामिल हैं। इसके विपरीत सांस की समस्या, भ्रम, पेट दर्द, छाती में दबाव गंभीर लक्षणों की श्रेणी में आते हैं। समय पर इलाज मिलने से बच्चे ठीक हो सकते हैं, फिर भी माता-पिता को सावधान रहने और तत्काल मेडिकल सहायता तलाश करने की सलाह दी जाती है।

तीसरी लहर से इस तरह रहें चौकन्ना-
माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण है कि सावधानी और बच्चों को एक्टिव जिंदगी का मौका उपलब्ध कराने के बीच संतुलन बनाएं। बच्चों में गंभीरता की कम घटनाओं की संभावना को देखते हुए माता पिता को चाहिए:

कोविड-19 के किसी भी लक्षण, विशेषकर MIS-C से जरूर सावधान रहें। बच्चों को सफाई की आदतों और अच्छे पोषण पर फोकस करना चाहिए। पोषण बच्चे की इम्यूनिटी सुधारने में मदद कर सकता है, जबकि सफाई संक्रमण के खतरे को कम करती है। अंत में, टीकाकरण ही सुरक्षित भविषअय सुनिश्चित करने का मात्र एक तरीका है। अभिभावकों को बच्चों में कोविड-19 होने पर घबराना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर कोविड-19 के मामले हल्के होते हैं।

Share:

  • Collector के नेतृत्व में Ujjain ने बाजी मारी, Vaccination में प्रदेश में सबसे अव्वल

    Thu Aug 26 , 2021
    आज शहर के 73 सेंटरों पर लगेंगे 42 हजार से ज्यादा सेकंड डोज-पूरे जिले में कल आशीष सिंह केन्द्रों पर जा जाकर देते रहे निर्देश उज्जैन। कलेक्टर आशीष सिंह के मार्गदर्शन में पूरे जिले में कल वैक्सीनेशन का महाअभियान इस तेजी से हुआ कि मध्यप्रदेश मेंसबसे अधिक टीके कल उज्जैन में लगे और दो दिनी […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved