
भोपाल। लंबे समय से लूप लाइन में नौकरी कर रहीं 2011 बैच की आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या एक बार फिर चर्चाओं में हैं। इस बार उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी पर ही प्रताडऩा के गंभीर आरोप लगाए हैं। नेहा के आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह जांच का विषय है, लेकिन 11 साल की नौकरी में नेहा पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं है। उनकी कार्यप्रणाली ही ऐसी है कि वे अभी तक सरकार में ‘सिस्टमÓ के हिसाब से काम नहीं कर पा रही हैं। जिसकी वजह से वे पहले भी विवादों में रही हैं।
वे शिवपुरी, दतिया और जबलपुर में फील्ड की नौकरी कर चुकी हैं। जनता से उनका विवाद का एक भी मामला सामने नहीं आया है, न ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उनका विवाद वरिष्ठ अधिकारी, मंत्री एवं अन्य जनप्रतिनिधयों से खुद की कार्य प्रणाली की वजह से हुएं हैं। वे वरिष्ठ अफसरों के मौखित आदेश की बजाय लिखित आदेश पर ज्यादा भरोसा करती हैं। कृषि विभाग की उपसचिव रहते वरिष्ठों के मौखिक आदेश पर नियमों के इर्द-गिर्द काम करने से साफ इंकार कर चुकी हैं। शिवपुरी जिपं सीईओ रहते उन्होंने मनरेगा फंड से कलेक्टर की अतिरिक्त टैक्सी गाड़ी का भुगतान लिखित आदेश नहीं होने की वजह से रोक दिया था।
कलेक्टर नहीं बन पाईं
नेहा मारव्या 2011 बैच की इकलौती आईएएस हैं, जो अभी तक कलेक्टर नहीं बन पाईं हैं। इसकी वजह वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विवाद ही माना जाता है। स्वभाव से बेहद शांत नेहा मारव्या को चापलूसी और नेताओं की जी-हूजूरी पसंद नहीं है। यही वजह है कि शिवपुरी पदस्थापना के दौरान मंत्री यशोधरा राजे से भी विवाद की खबरें आई थीं।
राजस्व विभाग में अन्य अफसर भी परेशान
नेहा मारव्या को शासन ने हाल ही में राजस्व विभाग में पदस्थ किया है। नेहा ने प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी पर जो आरोप लगाए हंै, वे बेहद गंभीर है। कोई वरिष्ठ अधिकारी किसी भी महिला अफसर से इस तरह की भाषा का प्रयोग नहीं कर सकता है। मंत्रालय सूत्र बताते हैं कि राजस्व विभाग में रस्तोगी के साथ काम कर चुके अफसर भी ज्यादा खुश नहीं थे। वे भी खुले तौर पर रस्तोगी के कटाक्षों से परेशान थे। मौजूदा अफसर भी रस्तोगी के सामने जाने से कतराते हैं।
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